पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१८६

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. भारतवर्ष का इतिहास

  1. तीसरी-पानी न बरसे और पैदावार न हो तो ज़मीन

का लगान माफ़ कर दिया जाता है। दुखिया ज़मीनदार को सरकार को कुछ देना नहीं पड़ता और उसे खाने को और अगले साल के लिये बीज मोल लेने के लिये पेशगी रुपया भी दे दिया जाता है। १६०२ ई० में कुछ स्थानों में पानी बिलकुल न बरसा तो ज़मोन के लगान का दो करोड़ रुपया माफ़ कर दिया गया। सन् १९०३ ई० में सरकार ने प्रजा को सहायता और लगान माफ़ करने में उनतीस करोड़ रुपया खर्च किया । १०-चौथी—इमदादी (सहायक ) काम खोले जाते हैं ; जैसे किसी बड़े तालाब का खोदना या सड़क का बनाना। जो लोग इन कामों पर लगाये जाते हैं उन्हें मजदूरी दी जाती है। इस रीति से उनको भिखमंगों की तरह खाना नहीं मिलता और वह मजदूरो पाते हैं। जो काम वह करते हैं लोगों के सदा के लिये लाभदायक होते हैं। जो आदमो काम नहीं कर सकते जैसे बड़े और बोमार उन्हें बिना मजदूरी किये रुपया दे दिया जाता है। -सहायक कैंपों में असपताल भी खोले जाते हैं और गरीबों की पूरी पूरी देख भाल होती है जिस में वह लोग जीते रहै। १२--छठी-देश भर में अन्न बेचनेवालों को सूचना दे दी जाती है कि अनाज की आवश्यकता है, जिस पर वह बहुत सा अनाज लाते हैं। व्यापारी लाभ उठाने के लिये यह काम प्रसन्नता से करते हैं। कोई दवाव उन पर नहीं डाला जाता न कोई कड़ाई को जाती है। १३-सातवीं-सरकार ने अकाल का एक जाबता ( नियमा- वली) बनाया है जिसमें इस विषय के सब नियम लिखे हैं। इससे सब अफ़सर जान लेते हैं कि हम को क्या करना उचित है। ११-पांचवी