पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१९१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

1 ग्रेट ब्रिटेन के साम्राज्य में भारतवर्ष की उन्नति बाहर जानेवाला माल ६-जो चीजें भारत से बाहर जाती हैं वह दो तरह की हैं; एक वह जो इस देश में बनाई जाती हैं ओर दूसरो वह हैं जो यहां पैदा होती है। यहां को पैदावार को मुख्य वस्तु यह है, कई, सन, अनाज, चावल, गेहू, तेलहन, चाय, अफ़ोम, मसाला, ऊन, नील, दाल, तेल और कहवा । भारत में ये चीजें बनती हैं सूत, कपड़ा, खाल और चमड़ा, सन के बोरे और लाह के रङ्ग । ७-भारत में बहुत सो चीजें ऐसी हैं जो और देशों में पैदा नहीं होतो, या जो और देशों में कम मिलती हैं। उन सब की आवश्यकता है इस लिये और देशों में बिना महसूल चली जाती हैं। जो पांच बड़ी बड़ो जिनमें रूई, सन, तेलहन, चावल, गेहूं किसान पैदा करते हैं, वह सन् १९११ ई० में बारह करोड़ रुपये के दाम को बाहर गई। यों कहना चाहिये कि सरकारी लगान देने के पीछे ध्यापारियों को अपने ही देश में बेचने के लिये अनाज देकर और अपने काम भर के लिये अपने पास रखकर ज़मींदारों ने भारत की मालगुजारो की आमदनी से साढ़े तीन गुने दाम की पैदावार दूसरे देशों को भेजी। भीतर आनेवाला माल ८-तीन सौ बरस हुग जब अंगरेज व्यापारी पहिले पहिल भारत में आये थे तब वह अपने साथ मुख्य करके ये चीजें लाये थे, सोना, चांदी, ऊनी माल और मखमल । अब वह यूरोप को बनी बेगिनत चीजें लाते हैं जिनमें मुख्य ये हैं ;-रूई के कपड़े, धातु, चीनी, सब तरह की कले, लोहे का सामान, कैंची, चाकू, खाने पीने को वस्तुएँ, मिट्टी का तेल, जड़ो बूटियां और दवाइयां।