पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१९७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

भारत का शासन और प्रबन्ध (ब) २–भारत का शासन और प्रबन्ध (१) भारत के गवनमेण्ट १–भारत के राजराजेश्वर प्रेट ब्रिटेन और आयरलैण्ड के भी बादशाह हैं। इस लिये वह इङ्गलिस्तान में विराजमान हैं। वहां राज्य का प्रबंध करने के लिये दो बड़ी बड़ो सभायें बादशाह के सहायक हैं जिन्हें पालीमेण्ट कहते हैं। इन में एक का नाम हौस आफ़ लाइस ( सामंत समाज ) है और इसके ६१८ मेम्बर ( सभ्य ) हैं और दूसरे का हौस आफ़ कामन्स ( साधारण समाज ) है जिसमें ६५० मेम्बर हैं। सारे कानून पालीमेण्ट में बनते हैं और बादशाह उन पर अपनी अनुमति देते हैं। २- ब्रिटेन के शासन के निमित्त बादशाह का एक प्रधान मन्त्री होता है। वह सदा साधारण समाज में से लिया जाता है। वह अपनी सहायता के लिये और मन्त्री साधारण समाज में से चुन लेता इन में से एक एक के अधिकार में एक एक महकमा रहता है। इन्हीं मन्त्रियों में से एक के अधिकार में भारत के शासन का काम है । इसे भारत का सेक्रेटरी आफ़ स्टेट कहते हैं। इसकी सहायता और सलाह के निमित्त एक कौंसिल (सभा) है जिसे इणिया कौंसिल कहते हैं। १९१२ ई० में इस कौंसिल में १३ मेम्बर थे जिनमें दो भारतवासी थे एक हिन्दू और एक मुसलमान । यह दोनों भी इङ्गलिस्तान में रहते थे और सब अङ्ग्रेज अफसर थे जो बरसों तक भारत में रह चुके थे। और भारत और उसके निवासियों को भली भांति जानते थे। ३–भारत में राजराजेश्वर का एक नायव (प्रतिनिधि) या वाइसराय रहता है जो उसकी जगह शासन करता है।