पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/२०

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१० भारतवर्ष का इतिहास उन्हों ने गढ़ को बैरी के हवाले इस बात पर किया कि उनके प्राण बचा दिये जायं। ४.-इस समय नवाब तो सो रहा था और पहरेवालों ने १४६ बन्दियों को ऐसी छोटी और अंधेरी कोठरी में बन्द कर दिया जिसमें पहले एक अकेला बन्दी रखा जाता था। यह ऐसी छोटी और अन्धेरी थी कि यह ब्लैक होल ( काल कोठरी) नाम से प्रसिद्ध है। इतने मनुष्यों का इस छोटी कोठरी में बन्द रहना अवश्य मरना था। जब यह बिचारे बन्दी सांस रुक रुक कर मरते थे तो निर्दयो पहरेवाले उनको देख देख कर हंसते थे। ५–जब दूसरे दिन सबेरे उस बन्दीगृह का दरवाजा खोला गया तो कुल २२ पुरुष और एक स्त्री जीते निकले और सब मर गये थे १२३ लोथै निकलवा कर एक ख में फेंकवा दी गई। ४६-पलासी का युद्ध (सन् १७५७ ई०) १-सन् १७५७ ई० में यूरोप में अंगरेजों और फ़रासीसियों के बीच फिर युद्ध छिड़ गया। इसके थोड़े दिन पहले ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने कर्नल क्लाइव को जो पहिले की भांति भला चंगा हो गया था अपनी सेना का कमानियर बना कर भारत को भेजा था। क्लाइव मद्रास में पहुंचा ही था कि उसे समाचार मिला कि कलकत्ता अंगरेजों के हाथ से जाता रहा। २-इस समाचार को पाते हो मद्रास में अंगरेजों को बड़ा शोक हुआ। क्रोध और बदला लेने की आग उनकी छातियों में धधक उठी। कर्नल क्लाइव ने थल सेना को और ऐडमिरल वाटसन ने समुद्री बेड़े को सम्हाला । तीन महीने के पीछे दोनों कलकत्ते