पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/२००

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भारतवर्ष का इतिहास भी मेम्बर होते हैं। इनके सिवाय देश के और बड़े बड़े आदमो भो मेम्बर होते हैं। आजकल इसमें कुल ६८ मेम्बर हैं इनमें ३६ सरकारी मेम्बर है और ३२ सरकारी नहीं हैं। इनमें कुछ हिन्दू हैं और कुछ मुसलमान । यह कौंसिल सारे भारतवर्ष के लिए कानून बनाती है। इसके सारे अधिवेसन साधारण के लिये खुले हैं। जल्दी में कोई कानून नहीं बनाया जाता । जिस कानन के बनाने का विचार होता है वह पहिले अंगरेज़ी और भारत की भिन्न भिन्न भाषाओं में छाप कर प्रकाशित कर दिया जाता है जिस से किसी की हानि होतो हो तो वह विरोध करे। फिर कानून के इस मसौदे पर कौंसिल विचार करतो है। मेंम्बर लोग अपना अपना मत प्रकाश करते हैं। फिर जब वह "पास" हो जाता है तो कानून बन जाता है। ७- लेजिस्लेटिव कौंसिल का कोई मेम्बर पबलिक (सरकारो) मामलों के बारे में प्रश्न कर सकता है। आमदनी और खचे के सालाना तम्बमीने का कच्चा चिट्ठा एक बार बिचार के लिये इसमें आता है। वह पढ़ा जाता है और एक सरकारी मेम्बर सब बातों का पूरा व्यौरा कह सुनाता है। कोई काम छिपा कर नहीं किया जाता न कोई बात गुप्त रखी जाती है। कानून बनाने या देश की आमदनी और खर्च और टैक्सों के विषय में जो कुछ गवर्नमेण्ट करतो है उसे सब लोग अच्छी तरह जान जाते हैं। । 1 (२) सूबेवार गवर्नमेण्ट १--प्राचीन काल में भारत बहुत सी रियासतों और राज्यों में बंटा था। मुग़ल बादशाहों के समय में उनका राज्य सूबों में बाँटा गया था। अब भी उसो तरह ब्रिटिश इण्डिया पंदरह सूबों में बँटा है जिनमें से दस बड़े हैं और पांच छोटे। +