पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/२०७

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भारत का शासन और प्रबन्ध १६७ -इनके सिवाय बल्लमटेर भी हैं। इनकी तनखाह कुछ नहीं होती पर इन्हें हथियार दिये जाते हैं और उन्हें सेना की कवाइद सिखाई जाती है जिससे कहीं लड़ाई छिड़ जाय तो वह शहरों किलों और पुलों की रक्षा कर सकें। वायव्य और अग्नि कोण की सीमा पर जङ्गो पुलिस रहती है जो सिपाहियों की तरह हथियार बन्द रहती है और जिसका काम शान्ति रखना है। सेना से उसको कुछ सम्बन्ध नहीं। ६-ग्रेट ब्रिटेन का जङ्गी बेड़ा भारतवर्ष के सारे अङ्ग्रेजी राज की रक्षा करता है और उन सारे जहाजों को भी रखवालो करता है जो व्यापार की बस्तुएं भारत दूसरे देशों को ले जाते हैं या वहां से लाद लाते हैं। समुद्र की राह से कोई बैरी भारत पर चढ़ नहीं सकता है। जल सेना को प्रेट ब्रिटेन की आमदनी से तनखाह मिलती है। भारत के रुपये से इसे कुछ नहीं दिया जाता। (५) पुलिस और जेल जैसे लड़ाई के अवसर पर सेना हमारी रक्षा करती है और चढ़ाई करनेवालों को दूर भगाने पर कमर कसे रहती है, वैसे ही अशान्ति की दशा में शान्ति चाहनेवाली प्रजा की रखवाली पुलिस करती है। वह चोरों और डाकुओं को दवाये रखती है। हर एक जिले में पुलिस का बड़ा अफ़सर होता है जिसे सुपरिन्टेण्डेण्ट पुलिस कहते हैं। उसकी सहायता को एक असिस्टेण्ट और बहुत से इन्सपेकर होते हैं जिनके आधीन कनिस्टेबल हुआ करते हैं। सुपरिन्टेण्डेण्ट पुलिस जिला के साहेब कलेकर या डिपटी कमिश्नर और सूबे के इन्सपेकर जनरल पुलिस के आधीन होता है। ब्रिटिश इण्डिया में डेढ़ लाख के लाभग पुलिस नौकर 1