पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/२३

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फ़रासीसियों को पूर्ण अवनति भागा तो था परन्तु एक मनुष्य ने, जिसकी नाक उसने कभी कटवा दी थी, उसे पकड़ कर मीरज़ाफर के बेटे के सामने लाया । उसने उसे तत्काल मरवा दिया। अंगरेज़ों को सेवा के बदले में नये नवाब ने उनको सब हानियों का हरजा दे दिया और क्लाइव और दूसरे अफ़सरों को मेंटें दों। कलकत्ते के आस पास का इलाका, जिसका नाम चीबोस परगना है, ईस्ट इण्डिया कम्पनी को दे दिया और दो बरस पोछे उस इलाका का कुल लगान जो कम्पनी की तरफ़ से मिलता था क्लाइव को नज़र कर दिया। इससे क्लाइव बड़ा धनी हो गया। यह क्लाइव को जागोर कहलातो थी। कम्पनी क्लाइव के जोते जो इसका लगान क्लाइव को देती रही। यह पहिला राज था जो कम्पनो को भारत में मिला। बङ्गाल हाते को नेव इसी से पड़ी। ५० --फरासीसियों की पूर्ण अवनति (सन् १७५६ ई० से सन् १७६३ ई० तक) १-यूरोप में सन् १७५६ ई० से सन १७६३ ई० तक कई यूरोपीय जातियों में बड़ा भारी युद्ध रहा। इसे सप्तवर्षीय युद्ध कहते हैं । इस युद्ध में अंगरेजों का सामना फरासीसियों से था। २-जिस समय यह युद्ध आरम्भ हुआ उस समय फर्नल क्लाइव लगभग कुल अंगरेज़ी सेना को लिये हुए बङ्गाले में था। उसने तत्काल चन्द्रनगर को लेलिया और उत्तरीय भारत में फरासीसियों के पास कोई स्थान रहा। दक्षिणीय भारत में अंगरेजों के पास इतना सामान न था कि पांडोचरी के लेने की चेष्टा कर सर्क न फरासीसियों ही के पास इतनी सेना थी कि मद्रास