पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/२४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

भारतवर्ष का इतिहास लेते। इसका परिणाम यह हुआ कि दो बरस वहां दोनों ज्यों के त्यों बने रहे। ३-सन् १७५८ ई० कौर लालो को कमान में बहुत सी फरासीसी सेना भारत में आई 1 उसको आज्ञा दो गई थी कि मङ्गरेज़ों को भारत से निकाल दे। रात के समय कौंट लाली ने भारत की भूमि पर पांव रक्खा। उसी रात को उसने सेण्ट-डेविड नामक गढ़ पर चढ़ाई का और सहज ही उसको जीत लिया। कोर्ट गिरा दिया गया और वह फिर न बना । ४- इसके पीछे लाली ने बुसी को आज्ञा दो कि तुम दक्षिण से आओ हम और तुम मिल कर मद्रास पर चढ़ाई करेंगे। फिर उन दोनों ने मद्रास पर चढ़ाई की। छः महीने तक मेजर लारेन्स वीरता के साथ मद्रास की रक्षा करता रहा इसके पोछे इङ्गलैण्ड से जहाज़ द्वारा कुछ सेना आई। कुछ ही दिनों में लालो और उसको फरासीसी सेना भगा दी गई। कर्नल कूट अङ्गरेज़ो सेना का कमानियर था। उसने फ़रासीसियों का पीछा किया और वांडेवाश के स्थान पर जो मद्रास और पांडोचरी के बीच में है सन् १७६० ई० में उनको परास्त किया। भारत की भूमि पर जो अगरेजों और फरासोसियों के बीच युद्ध हुए हैं उनमें यह सब से बड़ा था। कर्नल कूट ने पांडोचरी पर चढ़ाई की और सन् १७६१ ई० में वह स्थान भी फरासीसियों से ले लिया। ५-जब करनाटिक में यह घटना हो रही थी तब क्लाइव ने समुद्र तट की राह से जो सेना इकट्ठी कर सका कर्नल फोर्स को कमान में उत्तरी सरकार की ओर भेज दी। यहां पहिले तो फरासीसो अङ्गरेज़ों से ज्यादा थे और निज़ाम हैदराबाद अपनी सेना लिये हुए उनके साथ था। पर कर्नल कोई भी क्लाइव की आंखें देखे हुए था। यह बड़ा बोर और बुद्धिमान