पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/२७

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फ़रासीसियों को पूर्ण अवनति और अपना काम चलाये। क्लाइव ने उसकी चाल न चलने दी। मीरजाफ़र ने बुरा माना और उसने चिंसुरा में उच लोगों को लिखा कि तुम मेरो सहायता करो और हम तुम दोनों मिलकर अंगरेजों को निकाल दें। यूरोप में अंगरेजों और डच लोगों में थी इस लिपे चिंसुरा के डच लोगों को अंगरेजों से लड़ाई करने का कोई बहाना न मिला। पर डच लोग अंगरेज़ी सौदागरों से जलते थे और उनके व्यापार को देखकर डाह करते थे सो मूढ़ता से अंगरेज़ों पर चढ़ाई करने को राजी हो गये। उन्हों ने जावा से सेना मंगाई। थोड़े ही दिनों में उच सिपाहियों से भरे जहाज़ हुगली के मुहाने पर आ पहुँचे और उन्हों ने चाहा कि जलमार्ग से चिंसुरा पहुँच जायं । उन्हों ने कुछ अंगरेज़ी नावें छीन ली और नदी के किनारे जो अंगरेज़ों की कोठियां थों उनमें आग लगा दी। ५-कर्नेल क्लाइव ने कर्नेल फ़ोर्ड को जो उत्तरीय सरकार से लौट आया था चिंसुरा पर धावा मारने को भेजा। डच लोगों के जहाज़ों पर चढ़ाई करने को एक दूसरा अफ़सर भेजा गया। उच सेना जो चिंसुरा में थो उसकी हार हो गई और उसके जहाज़ अंगरेज़ों ने पकड़ लिये। फिर ता.उन्हों ने सन्धि को प्रार्थना की। केवल इतना मांगा कि चिंसुरा उनके पास व्यापार करने के लिये रहे; उसमें सेना रखने का अधिकार न रहा। मीरजाफ़र का अपराध क्षमा कर दिया गया और १७६० ई० में क्लाइव इङ्गलिस्तान चला गया।