पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/३८

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२८ भारतवर्ष का इतिहास हार के कारण कोई प्रतिष्ठा न रही। इसी साल हैदरअली मैसूर का शासक हुआ। उत्तरीय भारत में इसी साल मीर- जाफ़र नवाबी से निकाल दिया गया। मीरकासिम बङ्गाले का नवाब हुआ और उसने बर्दवान, मेदिनीपुर और चटगांव के जिले जो तीनों मिलकर बङ्गाले को एक तिहाई के बराबर हैं कम्पनी को दे दिये। यह अन्तिम ५५ -मुगलराज्य का अन्त १-महम्मद शाह सन् १७४८ ई० में मर गया । मुगल बादशाह था जिसकी कुछ प्रतिष्ठा थो। पहिले तो प्रतिष्ठा ही बहुत कम थो और जो थी भी उसे नादिर शाह ने १७३६ ई० में मिटा दिया था। उसके पीछे दो बादशाह सिंहासन पर बैठे, पर उनकी बादशाहो नाम मात्र को थी। इनमें से पहिले की आंखें निकलवा दी गई थीं। दूसरा मार डाला गया था। उत्तर भारत में कमो अफ़ग़ानों का उङ्का बजने लगता था कभी मरहठों की दुहाई फिरती थी। जा बादशाह मारा गया था उसका बेटा अवध के नवाब शुजाउद्दौला के पास चला गया और उसकी सहायता से बङ्गाले पर चढ़ दौड़ा पर क्लाइव ने दोनों को भगा दिया। २–पानीपत की बड़ी जङ्गी लड़ाई के पीछे यह शाहजादा शाह आलम के नाम से मुग़लों के सिंहासन पर बिराजा। उसने शुजाउद्दौला के साथ दूसरी बार बङ्गाले पर चढ़ाई की। पर मेजर कारनक ने उसे फिर परास्त किया। वह दिल्ली जाने से डरता था इस कारण अवध में रहने लगा। ३-शाह आलम और शुजाउद्दौला ने तीसरी बार फिर