पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/४३

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हैदर अला न

पड़ा। अंगरेज़ चांदगांव की घाटी में थे जहां से करनाटिक का रास्ता है। हैदर अलो उन पर टूट पड़ा परन्तु हार कर भागा और उसके बहुत से सिपाहो मारे गये। हैदर अली ने इस पर भी करनल स्मिथ का पीछा किया। त्रिचनापली पर बड़ी भारी लड़ाई हुई हैदर अलो परास्त हुआ और भाग गया। -इस पर निज़ाम ने भी हैदर अली का साथ छोड़ दिया, तुरन्त हैदरावाद चला गया और अंगरेजों से मेल कर लिया। -इसके एक बरस पोछे तक हैदर अली से धीरे धोरे लड़ाई होती रही। पलटने इधर उधर कूच करतो फिरती थीं पर हैदर अलो दूसरी लड़ाई का जोखिम उठाना चाहता अन्त को यह एक बड़ी भारो सेना लेकर अत्यन्त बेग के साथ मदरास पहुंचा और वहां के गवर्नर से सन्धि की प्रार्थना की। १०-गवर्नर के पास लड़ाई के लिये न रुपया था। वह जानता था कि कम्पनो के व्यापार का लाभ लड़ाई में खर्च हो जायगा तो कम्पनो प्रसन्न न होगी। उसको इतना भी अवकाश न था कि बम्बई या बंगाले के गवनरों को लिख कर उनसे सम्मति लेता क्योंकि हैदर अली कहता था कि मुझ को अभी उत्तर दो। गवर्नर ने हैदर अलो के साथ सन्धि कर लो और यह शर्ते ठहरों कि जो देश किसो ने दूसरे का जोत लिया है वह उसे फेर दे, दोनों में से किसी पर अगर कोई चढ़ाई करे तो दूसरा उसको मदद करे । Llist, PT. 11.-3