पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/४५

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वारेन हेस्टिङ्गस् जो कुछ मिल जाय लेकर धनी हो जाय। अमलों में बहुत से मुसलमान थे जिनको नवाब ने रखा था। ३- इस पर अनर्थ यह हुआ कि सन १७६६ से १७७० तक बंगाल में बड़ा अकाल पड़ा। बंगाल को बहुत सो प्रजा इससे नष्ट हो गई। जब फसल हो न होतो थी तो प्रजा कर कैसे देतो ? ४-बंगाले का सुप्रवन्ध करने के लिये एक योग्य पुरुष की आवश्यकता थी। ईष्ट इण्डिया कम्पनी के पास इस समय एक ऐसा मनुष्य था जो इस काम के करने की योग्यता रखता था। इसका नाम वारेन हेस्टिङ्गस् था। यह १७५० ई० में मुहरिर होकर कलकत्ते आया था ओर कम्पनो की नौकरी में सब से बड़े उहदे पर पहुंच गया था। यह क्लाइव के विश्वासो अफ़सरों में था और हिन्दुस्थानियों का हाल इससे बढ़कर कोई न जानता था। ५-सव से पहिले इसने बंगाले के दोहरे प्रबन्ध हो का अन्त किया ; देशो नवाव ओर नायब छुड़ा दिये ; बंगाले और बिहार के हर जिले में एक एक कलकर रक्खा जो जजो का काम भो करता था ; कलकरों को मदद के लिये हिन्दू पंडित और मुसलमान काजो रक्खे जो उनको धर्मशास्त्र और शरह मुहम्मदी समझाते थे। कानून का एक सोधा सादा ग्रन्थ तैयार हुआ कि जिस में सब लोग उसको जान लें। बहुत से कर उठा दिये गये। जो महसूल बचे उनके देने की एक सहज रीति और समय नियत कर दिया गया। अब हिन्दुस्थानो अहलकार तो बोच में रहे हो नहीं जो रुग्या खा जाते इस लिये कम्पनी की आमदनी पहिले से बहुत बढ़ गई। ६.यह वह समय था कि शाह आलम अंगरेज़ों को रक्षा और सहायता छोड़ कर सिन्धिया के बुलाने पर इलाहाबाद से