पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/४६

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भारतवर्ष का इतिहास दिल्लो चला गया था। सिन्धिया ने जब शाह आलम के नाम से पचीस लाख रुपया मांगा तो गवनेर हेस्टिङ्गस् ने जवाब दिया कि पेनशन शाह आलम को दी जाती थी अब वह हमारे पास से चले गये है इस लिये वह उसके पाने के अधिकारो नहीं हैं। मरहठे हम से नहीं मांग सकते। यह भो कम्पनी के लिये पचीस लाख साल की बचत हो गई। ७--पहिले लिखा जा चुका है कि दोआबा अर्थात् गङ्गा यमुना के बीच का इलाहाबाद का ज़िला शाह आलम को दे दिया गया थो। मरहठों के पास चले जाने से वह भी शाह आलम के हाथ से जाता रहा । हेस्टिङ्गस् ने यह जिला अवध के नवाब शुजाउद्दौला को दे दिया और उसने उसके बदले में पचास लाख रुपया कम्पनी को दिया। ८-इसके कुछ दिन पोछे शुजाउद्दौला ने रुहेलो से लड़ाई की। यह अफ़ग़ाम थे जो कई बरस पहिले अवध के उत्तर-पश्चिमाय कोने में रुहेलखण्ड में बस गये थे। यह लोग क्रोधी और निर्दयी थे; हिन्दुओं को बहुत सताते थे और नवाब को भी बहुत दिक करते थे। नवाब ने हेस्टिङ्गस् को मदद के लिये लिखा और इस सहायता के बदले चालोस लाख रुपया दिया। रुहेले हारे और भाग गये और सारे देश में शान्ति हो गई। पुराने रुहेले हाकिम का बेटा नवाब बनाया गया और उसके वंशवाले आज तक राज करते हैं। अफ़ग़ान सिपाही जहां तहां देश में बस कर खेती बारी करने लगे।