पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/४८

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३८ भारतवर्ष का इतिहास प्रान्त के हानि लाभ का विचार रखता था। अब इस बात की आवश्यकता हुई कि हिन्दुस्थान के समस्त अङ्ग्रेजों के मित्र हों तो एक हो और इसी भांति किसी से लड़ाई हो तो सब अगरेज़ उससे लड़े। ५-जब तक अकेला वारेन हेस्टिङ्गस् गवर्नर था, सारा काम बड़ी सुगमता से करता रहा । पर जब नये कानून के अनुसार कौन्सिल के मेम्बर नियत होकर आगये तो चार में से तीन मेम्बर हर बात में उससे विरुद्ध हो जाते थे। यह मेम्बर नये नये विलायत से आये थे। हिन्दुस्थान का कुछ भी हाल नहीं जानते थे। वारेन हेस्टिङ्गस् यहां का सच्चा हाल जानता था। फ्रानसिस जो वारेन हेरिटङ्गस् से जलता था और उसको निकलवा कर आप गवर्नर जनरल बनना चाहता था उन सबका मुखिया था। ६- कलकत्ते में आते हो मानसिस ने एक बङ्गालो ब्राह्मण नन्दकुमार को बहकाया ओर गवर्नर जनरल पर उससे झूठे दोष लगवाये। नन्दकुमार हेन्टिङ्गस् से बैर रखता कारण यह था कि दो अमलो के समय में यह भी किसी पद पर नियत था और वारेन हेस्टिङ्गस् ने उसके काम में ऐव निकाला था। जिस समय नन्दकुमार ने वारेन हेस्टिङ्गस् पर झूठे दोष लगा रक्खे थे उन्हीं दिनों नन्दकुमार पर जालस.जो का मुकदमा चलाया गया। नन्दकुमार अपराधी ठहराया गया और उसको फांसो दी गई। ७-सात वरस तक फ्रानसिस वारेन हेस्टिङ्गस् का विरोध करता रहा। इसके पीछे विलायत चला गया। इसके जाने पर कौन्सिल में वारेन हेस्टिङ्गस् को कोई रोक टोक न रह गई। ८-वारेन हेस्टिङ्गत् की गवर्नर जनरली में दो लड़ाइयां हुई, पहिली मरहठों के साथ दूसरी हैदर अली के साथ ।