पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/४९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मरहठों को पहिलो लड़ाई ३६ नियत हुआ। ५६-मरहठों को पहिली लड़ाई (सन् १७७८ ई० से १७८२ ई० तक) १-सन् १७७८ ई० में मरहठों के चौथे पेशवा माधवराव का देहान्त हो गया। उसो बरस वारेन हेस्टिङ्गस् वङ्गाले का गवर्नर माधवराव के कोई बेटा न था, इस कारण इस बात पर बड़ा झगड़ा हुआ कि माधवराव के पोछे कौन पेशवा बनाया जाय । पहिले उसका छोटा भाई पेशकश हुआ पर वह थ दनों पोछे मरवा डाला गया और उसका चचा राघोवा अथवा रघुनाथ राव पेशवा बन बैठा। मरहठा सरदारों ने विरोध किया इस कारण राघोवा ने बम्बई के गवर्नर से सहायता राधोवा मांगो। २- बम्बई के गवर्नर ने सूरत के स्थान पर सन् १७७५ ई० में सन्धिपत्र लिखा लिया जिसमें यह शर्ते लिखो गई कि जो अङ्गारेजो सेना राधोवा की सहायता को भेजी जाय उसका खर्चा राघोवा दे और सालसिट और बसीन अङ्गारेजों को दिये जायं। यह टापू बम्बई के पास थे और अब बम्बई के भाग हैं। अगरेजों ने पहिले भी कई बार दाम देकर पेशवा से यह टापू मोल लेना चाहा था पर उसने सदा इनकार कर दिया था।