पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/५२

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४२ लूगा। भारतवर्ष का इतिहास ही था न वह वैसा फुरतीला था। उसने विचार किया कि मेरे सिपाही गिनतो में कम हैं, हैदर अली का सामना करने के लिये काफ़ी नहीं हैं। सिपाहो लड़ना चाहते थे पर वह अल्पबुद्धि था । वह हैदर अली की बातों में आ गया । हैदर अली ने कहा कि अगर तुम्हारे सिपाही हथियार डाल दें तो मैं उनके प्राण न जब हथियार रख दिये गये तो हैदर अली अपना वादा भूल गया। बहुतेरों को तो उसने बड़ी निठुराई से मरवा डाला ओर कुछ को कैदी बना कर मैसूर भेज दिया। एक छोटी सो सेना करनैल ब्रेथवेट के साथ चली आ रही थी उसका भी यही हाल हुआ। ४-पर सर आयर कूट जिसने वन्दवाश की लड़ाई सर की थी ताज़ा सिपाही लिये हुए बंगाले से आ रहा था। यह १७८१ ई० में पोर्टो नोवो ( महमूद बन्दर ) के स्थान पर हैदर अली से भिड़ गया और उसकी कुल सेना को हरा दिया। फिर पूलीनूर पर भी हराया जहां एक साल पहिले करनैल बेली. के सिपाही मारे गये थे। फिर से लमगढ़ में उसे तोसरी बार हराया और इसी भांति दूसरे साल आरनी के स्थान पर हराया। ५-इसके कुछ समय पीछे हैदर अलो मर गया। अंगरेज़ों ने उसके बेटे टोपू सुलतान से मंगलोर के स्थान पर सन्धि कर ली। जो जो नगर और देश जीते गये थे सो फेर दिये गये और अंगरेजों के आदमी जो मैसूर में कैद थे छोड़ दिये गये।