पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/५७

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४७ लार्ड कार्नवालिस और लड़ाई का खर्चा तोस करोड़ रुपया देना पड़ा आधा रुपया उसो क्षण और आधा कुछ दिन पोछे। जो आधा रुपया नहीं दिया था उसके बन्धक में टोपू ने अपने दो बेटों को मोल दे दिया। ७-जो देश टोपू सुलतान से मिला था उस में निज़ाम और मरहठों का कोई हक न था। तो भी अंगरेजों ने उनके साथ बरावर बांट लिया। पश्चिमीय समुद्रतट पर मलयवार और कारनाटिक के दो ज़िले जो अब सलेम और मदूरा कहलाते हैं अंगरेजों के हिस्से में आये। ८-लार्ड कार्नवालिस ने बंगाले में जमीन का बन्दोवस्त पक्का कर दिया। मुग़लों के राज्य में जमीदारों को मालगुजारी पर धरती दी जाती थी। जमीदार नवाब को एक बंधी रकम दे देते थे और प्रजा से जितना चाहते थे वसूल कर लेते थे। नवाब को रकम देने के पोछे जो कुछ बचता था सब जमोदारों के पेट में जाता था। जमीन बादशाह को थो और ज़मीदार उसके दामों के नौकर थे। वह प्रजा को दास समझते थे और उनके साथ बड़ी निठुराई करते थे ; प्रजा को ऐसा निचोड़ते थे कि किसान बेचारों की बड़ो दुर्दशा होती थी। इस विषय में सरकार कम्पनी के पास चारों ओर से शिकायतं पहुंचतो थों । ६-इस दुख के दूर करने और सब के सुभीते के विचार से ला. कानवालिस ने जमीदार को वह सारो धरतो दान कर दो जिसका लगान वह वसूल करता था। ज़मोन का उसे पूरा मालिक बना दिया। जो मालगुजारी जमोदारों को ओर से सरकार कम्पनो को देनी पड़ती थी वह भी सदा के लिये एकहो बार मुकर्रर कर दो गई। लार्ड कार्नवालिस ने ज़मोदारों का एक ऐसा समाज बना दिया जो धरतो के वैसे ही स्वामी रहे जैसे इङ्गलैण्ड में ।