पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/५९

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माकिस वेलेजलो ४६ ली जाय। निज़ाम चाहता था कि अंगरेज़ मेरी सहायता करें और मुझे मरहठों से बचायें । जब मरहठों ने जाना कि अंगरेज निज़ाम की सहायता न करेंगे तो उन्होंने कई बरस की चौथ जो निज़ाम ने न दी थी उससे मांगी। निज़ाम के पास न देने को रुपया था न लड़ने की शक्ति । उसने गवर्नर जनरल सर जान शोर को लिखा पर वहां से उत्तर मिला कि हम इस बारे में कुछ नहीं कर सकते। ५-इस पर पेशवा ने मरहठे सरदारों को सन्देशा भेजा कि सब मिलकर निज़ाम के ऊपर चढ़ाई करें। मरहठे राजा गवालियर, इन्दौर, बरार और गुजरात से बड़ी बड़ी सेना लेकर आये और बड़ी भीड़ से निज़ाम के ऊपर टूट पड़े। सन् १७६५ ई० में करौला के स्थान पर बड़ी भारी लड़ाई हुई। निज़ाम हार गया और उसे अपना राज मरहठों को भेंट कर देना पड़ा। और जो आधा बचा उसके लिये उसने सदा चौथ देने की प्रतिज्ञा की। ६–अब मरहठे राजाओं के आपस में इस देश के बांटने में झगड़े हुए, और तीन बरस तक पेशवा, सिन्धिया, होलकर और गायकवाड़ और भोंसला में युद्ध होता रहा। ६४-मार्किस वेलेजली, चौथा गवर्नर जनरल (सन् १७६८ ई० से सन् १८०५ ई० तक) पूर्वाद्ध १-चौथे गवर्नर जनरल मार्किस वेलेजली ने अंगरेज़ों को भारत में सब से बढ़कर शक्तिमान बना दिया। इसके साथ उसका छोटा भाई कर्नेल. वेलेजली भी आया था जो बड़ा HIST. PT. II.-4.