पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/६२

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५२ भारतवर्ष का इतिहास मुगलवंश का बादशाह शाह आलम, बूढ़ा और दोन निःसहाय सिन्धिया को कैद में था। अवध के नवाब की शक्ति बहुत कम थी। ८-इसो अवसर पर फ्रांस में एक बड़ा राजविप्लव हुआ। फ्रांसबासी अपने बादशाह से बिगड़ गये और बादशाह और उसको मलका दोनों को मार डाला। एक फ़रांसीसी सेनापति नेपोलियन नामो फ्रांस का हाकिम बन बैठा । उसके पास एक बड़ी शक्तिशालिनी सेना थी। उसने यूरोप के कई देश जीत लिये। अगरेजों के साथ भो उसने लड़ाई छेड़ दी और कहने लगा कि इङ्गलैंड पर चढ़ाई करूंगा और उसे जीत कर छोडूंगा। ६-लार्ड वेलेजली ने देखा कि निज़ाम टीपू और सिन्धिया सब के पास बड़ी बड़ी सेनायें हैं जिनको फरांसीसियों ने पलटन की कवाद और युद्ध की रीति सिखाई थी। फरांसीसियों का प्रसिद्ध सेनापति मिश्र देश तक आ पहुंचा था। टीपू ने नेपोलियन को लिखा कि तुम आओ और अगरेज़ों को भारत से निकालने में मेरी सहायता करो। नेपोलियन ने उसका साथ देना स्वीकार किया। ऐक छोटी सो फरांसीसी पलटन मंगलोर में भी पहुंच गई । पर यह पाण्डोचरी न जा सकी क्योंकि अगरेज़ों ने पहिले वहां अपना अधिकार जमा लिया था। १०–इस समय गवर्नर जनरल ने निज़ाम, टीपू सुलतान और पेशवा को जो अभी तक मरहठा जाति का सिरताज समझा जाता था, यह लिखा कि फरांसीसी अङ्गरेजों की जान के गाहक हैं ; इस लिये जो फरांसीसी उनके यहां नौकर हों उन्हें निकाल दें और अपने अपने देश में शान्ति रखने और रक्षा के लिये अङ्गरेजो सेना रक्खें आर उसका खर्चा दें। इस सेना से अभिप्राय यह था कि शासनकर्ताओं को अपने अपने देश में शान्ति रखने में सहायता