पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/६६

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भारतवर्ष का इतिहास तनखाह न हो। बहुत से सिपाही टीपू के पास चले गये और अंगरेज़ों के विरुद्ध लड़ने लगे। देश की मालगुजारी निज के खेल तमाशे में बिगाड़ता रहा और इतना कर्जा कर लिया कि उसे वह पटा न सका। छिआलिस बरस राज करके महम्मद अली मर गया और उसका बेटा उमदतुल-उमरा सिंहासन पर बैठा। जब अंगरेजों ने श्रीरंगपत्तन ले लिया, उनके हाथ कुछ ऐसी चिट्ठियां लगीं जो महम्मद अली और उसके बेटे ने छिप छिप कर हैदर अलो और टोपू के नाम भेजी थी और जिनमें दोनों ने अंगरेजों के विरुद्ध प्रतिज्ञा की थी। उसी समय तीन बरस नवाबी करके उमदतुल-उमरा भी मर गया। उसका प्रवन्ध बाप से भी बुरा था। उसने कोई बेटा न छोड़ा। इस पर लार्ड वेलेजली ने कारनाटिक को अंगरेजी शासन में ले लिया और महम्मद अली के भतीजों और नातेदारों के लिये बड़ी बड़ो पेनशने कर दी। ४-इस रीति से मद्रास हाता बन गया। इसका आरम्भ १७५६ ई० में करनल क्लाइव ने किया था जब उसने फ़रांसीसियों से उत्तरीय सरकार का इलाका लिया था। टोपू के साथ पहिलो लड़ाई के पीछे १७९२ ई० में लार्ड कार्नवालिस ने मलयबार, सलेम औरः मदुरा का इलाका मिला लिया था। लार्ड वेलेजली ने कनाड़ा, कोयमबटूर, तंजौर और कारनाटिक जोड़ कर हाता पूरा कर दिया, उस दिन से आज तक सौ बरस के समय में कोई लड़ाई दङ्गा झगड़ा बखेड़ा नहीं हुआ और प्रजा हरी भरी धन धान से पूरी है। ५-फिर लाडं वेलेजली ने अवध के नवाब को लिखा कि तुम भी हैदराबाद के निज़ाम की तरह सहायक श्रेणी में आना अङ्गोकार करो। पहिले तो नवाब न माना पर पीछे जो उसने देखा कि न मानने और हठ करने से कोई लाभ नहीं है तो वह