पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/६७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मार्किस वेलेजलो भी मान गया। एक अंगरेजी सेना अवध को भेजी गई और उसके खर्चे को नवाब ने गंगा यमुना के बीच का दोआबा अंगरेजों को सौंप दिया। यह वही दोआया है जो और कुछ जिलों के मिल जाने से संयुक्त प्रान्त कहलाता है। ६६—मार्किस वेलेजलो ( समाप्त ) १-अब एक मरहठे बचे जो अंगरेजों के बस में न आये थे और जिन्हों ने गवर्नर जनरल लार्ड वेलेजली की नई रीति स्वीकार न की थी। मैसूर को अन्तिम लड़ाई की समाप्ति पर लार्ड वेलेजलो ने राघोबा के बेटे पेशवा बाजीराव को लिखा कि तुम वह शर्ते मान लो जो निजाम ने मान ली हैं और फरांसीसी सिपाहियों को निकाल दो और उनकी जगह अपनी मदद के लिये अंगरेज़ी सेना रख लो तो मैसूर से जीते हुए देश का तिहाई भाग तुमको दे दूंगा। मगर पेशवा ने अपने बूढ़े ब्राह्मण मन्त्री नाना फड़नवीस के कहने में आकर बाजीराव इन शतों को न माना। २-दूसरे साल सन् १८०० ई० में नाना फड़नवीस मर गया । नये पेशवा ने तुरन्त होलकर से लड़ाई ठान लो। झोलकर ने पूना ले लिया और एक नया पेशवा गद्दी पर बिठा दिया। बाजीराव अपने प्राणों के डर से भाग कर बम्बई पहुंचा और वहीं से लार्ड वेलेजली को लिखा कि जो अगरेज़ मुझे पूने को गद्दो