पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/७७

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लार्ड हेस्टिङ्गस् ६७ आक्रमण दशा हो जायगी जो वेलेजली के समय से पहिले थी और जिससे वेलेजली ने उसे निकाला था। उसने इङ्गलिस्तान को लिखा और सरकार को जताया कि वेलेजली को तदबीर पर चलने से यह देश बरबादी से बच सकता है । क्योंकि उत्तर में गोरखों ने अगरेजी अमलदारी पर रखा था, दक्षिण में पिंडारियों ने लूट मार मचा रखी थी और मध्य देश में मरहठे सरदार विद्रोह करने के लिये तैयार बैठे थे। निज़ाम मरहठों से उरता था और यही एक रईस अगरेजों का बिश्वासी था। सरकार अगरेज को लार्ड हेस्टिङ्गस् पर पूरा भरोसा था। उसने देखा कि गवर्नर जनरल सच कहता है। इस लिये हुक्म दे दिया कि लार्ड वेलेज़लो को तदबीर पर पूरी कार्रवाई की जाय। ६--गोरखे नैपाल को शासन करनेवाली जाति के लोग थे। नेपाल तिब्बत और हिन्दुस्थान के बीच में हिमालय के पास कश्मीर से पूर्व है। इसको लम्बाई सात सौ मील और चौड़ाई सौ मील है। लाडे हेस्टिङ्गस् के भारत में आने के थोड़ा आगे पोछे गोरखों ने अवध के कुछ गांव छीन लिये और वहां के लम्बरदारों को मार डाला। इसलिये लड़ाई छेड़ दी गई और चार सेनायें उनका सामना करने के लिये भेजी गई। एक तो भारी तोपों को खोंच कर हिमालय पर चढ़ाना बड़ा कठिन था दूसरे गोरखे बड़ी बहादुरी से लड़े। कम्पनी के बहुत सिपाही मारे गये और चार में तीन सेनाओं को हिन्दुस्थान की तरफ लौटना पड़ा। लेकिन चौथी सेना, जिसका सेनापति जनरल अस्तरलोनी था, गोरखों बार हरातो हुई, उनको राजधानी खाटमांडू के पास जा पहुंची। तब तो राजा ने अङ्गरेजों से सन्धि कर ली। १८१६ ई० में सुगौली का सन्धि पत्र लिखा गया। इसके अनुसार को बार