पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/७८

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६८ भारतवर्ष का इतिहास कुमाऊँ का कुल देश जो नेपाल का पश्चिमीय भाग था अगरेजों को दे दिया गया । मंसूरो, नैनीताल और शिमला जहां गरमो के मौसिम में गवर्नर जनरल रहते हैं इसी देश में हैं। खाटमांडौ में अङ्गारेजों का रेजीडेण्ट नियुक्त है। ७-उस समय से आज तक नैपाल का राजा अङ्गरेज़ों का मित्र और सहायक है आर बहुत से गोरखे अङ्गरेजी सेनाओं में अगरेजी अफ़सरों के नीचे भरती हैं। अगरेजी सेना में गोरखे भी बड़े बीर और अच्छे सिपाहियों में गिने जाते हैं। ८- जिस समय अङ्गरेजी सेना गोरखों से लड़ रही थी, पिंडारी पहिले से भी अधिक ढोठ हो रहे थे और बाजीराव पेशवा उनको बहका कर चारों ओर लूट मार करा रहा था। लार्ड हेस्टिङ्गस् ने १८१६ ई० में एक लाख बीस हजार आदमियों का एक बड़ी सेना इकट्ठी की। उसमें मद्रास, बम्बई और बङ्गाले की सेनायें अमीर खां थीं। इस बड़ी सेना के बीच में पिंडारी ऐसे घिर गये कि एक आदमी भी भाग न सका। लड़ाई तो कोई नहीं हुई, क्योंकि पिंडारी लड़ना नहीं चाहते थे। पर उनमें से बहुत मारे गये। बचे खुचे हथियार डालकर भाग गये और गांव में बस गये। उनका एक सरदार चोतू एक चोते के हाथ से मारा गया। बचे हुए सरदारों ने अपने अमीर खां को अगरेजों को दया पर छोड़ दिया। वह लोग क्षमा कर दिये गये और उनको छोटी छोटी जागीरें दे दी गई। अमोर खां को राजपूताने में टोंक का छोटो रियासत मिली और नवाब का पद दिया गया।