पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/८४

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भारतवर्ष का इतिहास बहुत से लोग जो परदेश करने जाते थे घर फिर कर न आते थे। बहुतेरे घर से गये और उनका काई हाल न मिला कि क्या हुए कहां गये। कारण यह था कि डाकू और ठग उनको लूट कर जान से मार डालते थे। ३-डाकू साधारण यात्रियों के मेष में तीस तीस चालीस चालीस को टोलियों में फिरा करते थे। धनी लोगों के घरों का पता लगा कर रात को मशालें लेकर उन पर डाका डालते थे। उनका धन लूट लार्ड विलियम बेण्टिङ्क लेते थे और उनको नाना प्रकार के दुख देते थे, और कभी कभी उनको मार भी डालते थे। . ४-3ग काली को पूजते थे। दस दस बारह बारह की कर निकलते थे यह भी शान्त भले मानस गांववालों का भेष बनाते थे। रास्ते में कोई यात्री मिलता था तो उसके मित्र बन जाते थे। जब वह अकेला रास्ते या धने बन में पहुंचता था तो उसके गले में रूमाल डाल कर ऐसा ऐंठते थे कि वह मर जाता था। फिर उसकी लाश को गाड़ देते थे और उसका माल असबाब ले लेते थे। वह समझते थे कि इस रीति से बध करने से देवी प्रसन्न होतो है। जब इस काम से छुट्टो पाते थे तो खेती बारी और दुकानदारी के धन्धे में लग जाते थे, और किसी को यह सन्देह न होता था कि यह लोग पापी बदमाश हैं। उगों की एक बोलो और बंधे इशारे थे जिनको उनके सिवाय और कोई नहीं समझता था। टोलियां बना ।