पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/९२

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८२ जेनरल रहा । भारतवर्ष का इतिहास ६--१८३५ ई० में पश्चिमोत्तर देश का लेफटिनेण्ट गवनर सर चालेस मेटकाफ़ बेण्टिङ्क की जगह एक साल तक कायम मुकाम गवर्नर इस ने भारतवासियों समाचारपत्र निकालने की आशा दे दी और यह अधिकार दिया कि विना पूछे स्वतंत्रता से जो जो में आये समाचारपत्रों में लिखें। हां ऐसी बात न हो जिससे दूसरों को हेठी या हानि हो। १८३५ ई. के पहिले देश भर में छः समाचारपत्र थे। अब छ: सौ से सर चार्लस मेटकाम भी अधिक है। ७३-लार्ड आकलैंड, दसवां गवर्नर जनरल (सन् १८३६ ६० से १८४२ ई० तक ) १-इस समय अफ़ग़ानिस्तान की गद्दो पर दो आदमी बैठना चाहते थे, एक शुजा जो अहमदशाह के वंश में था और दूसरा दोस्त महम्मद जो अहमदशाह के प्रधान मंत्री के घराने का था। शुजा को परास्त किया और उसको काबुल से निकाल दिया। शाह शुजा भाग कर भारत में चला आया। यहां अंगरेजों ने उसके गुज़ारे के लिये पेनशन कर दी। २--गवर्नर जनरल ने सोचा कि अफ़ग़ानिस्तान में ऐसा हाकिम हो कि जो अंगरेजों से मित्रता रखे तो बहुत अच्छा होगा क्योंकि जो रूसी भारत पर चढ़ाई करें तो अंगरेजों की सहायता दोस्त महम्मद