पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/९८

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८८ भारतवर्ष का इतिहास प्रभावशाली शासक था; अपने सब अफ़सरों और सेवकों को अपने बस में रखता था। प्रजा भी उससे बहुत प्रसन्न थी। उसके पास बहुत सी तो थों और एक बली सेना थी जिसको फरासोसो अफ़सरों ने लड़ना और हथियार चलाना सिखाया था। इस सेना और तोपखाने की सहायता से रणजीत सिंह ने काश्मीर देश भो जीत लिया था। २-चालीस बरस राज्य करने के पोछे १८३६ ई० में रणजीत सिंह मर गया। उसकी पांच रानियां उसके साथ सतो हो गई। उसका बड़ा बेटा गद्दी पर बैठाया गया पर थोड़े ही दिनों के पीछे उतार दिया गया। फिर झगड़े बखेड़े होने लगे। रणजीत सिंह के वंश के बहुत से राजकुमार मारे गये और सिक्खों की सेना के सेनापति तेजसिह ने सब को दबा लिया। अंगरेजों के अफ़ग़ानिस्तान से लौटने के समय से सिख सिपाहो इस घमंड में थे कि हम अंगरेजों से लड़ने की योग्यता रखते हैं और दिल्ली लूटेंगे। यह. लोग सतलज पार होकर अंगरेज़ी इलाई में घुस आये। सिखों और अंगरेजों में तीन हफ्ते के भीतर भीतर चार लड़ाइयां हुई। सिख कवायद जानते थे और हथियार चलाने में चतुर थे, बहादुरो के साथ लड़े। अंगरेजों को भारत में अब तक जिन लोगों से लड़ने का काम पड़ा था, उनमें सिख सब से प्रबल थे। पर वह दिसम्बर १८४५ ई० में मुदकी और रणजीत सिंह