पृष्ठ:भारतीय प्राचीन लिपिमाला.djvu/४५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

ब्राह्मी लिपिकी उत्पनि यूनानी लिपि मे लिये गये हैं, और यह मिश्रण ई.स. पूर्व ३२५ के आम पाम ( अर्थात् मिकंदर के हम देश में आने के बाद) हुआ माना जाता है.' कम्ट' का मानना है कि पशिश्रा के पश्चिम में रहने वाले फिनिशिअन् लोग ई स. पूर्व की आठवीं शताब्दी में लिग्वना जानते थे और उनका वाणिज्यमंबंध इम देश ( हिन्दुस्तान ) के माध रहने तथा उन्हीके अक्षरों में ग्रीक, रोमन तथा मेमेटिक भाषाओं के अक्षर बनने में अनुमान होता है. कि वामी लिपि भी फिनिशिअन लिपि में बनी होगी मर विलियम जोन्म ने ममिटिक मे ब्राधी की उत्पत्ति होना अनुमान किया. जिमका कॉप्प मथा लेप्सिअम ने अनुमोदन किया. फिर वेबर ने मेमिटिक और ब्राह्मी अक्षरों के बीच कुछ म- मानना दिग्वला कर उसी मन को पुष्ट किया जिमको यनफी', पॉट", वेस्टरगार्ड , मॅक्ममूलर', फ्रेंडिग्व मृलर'. माइम, हिटनी आदि विद्वानों ने घोड़े यहुन मंदह के माथ म्बीकार किया स्टिवन्मन' का अनुमान है कि ब्राग्री लिपि या ना फिनिशिअन लिपि में बनी हो या मिमर के अन्नगं मे. पॉल गोल्डस्मिथ का मानना है कि फिनिशिअन् अनी में मिलोन (मिहलहीप, लंका) के अक्षर बने और उनमें भारतवर्ष के: परंतु ई. मूलर" का कथन है कि मानान में निग्वने का प्रचार होने के पहिले भारतवर्ष में लिग्वन का प्रचार था बल का मन यह है कि फिनिशिअन में निकले हुए अग्मक अन्नरों में ब्राझी अन्तर बने. परंतु आइज़क टेलर लिग्वना है कि अरमहक और ग्रामी अक्षर परम्पर नहीं मिलने लनामट' कहता है कि फिनिशिअन अन्नरों में अग्य के हिमिग्रंटिक अक्षर वन और उनम ब्रामी. डीके " का मत यह है कि ब्राह्मी लिपि अमीरित्रा की 'क्युनिफार्म लिपि में किमी प्राचीन दक्षिणी ममिटिक लिपि के द्वारा. जिममे हिमिअरेटिक लिपि निकली, बनी है. आइज़क टेलर निग्यता है कि 'ब्रामी लिपि किर्मा अज्ञान दक्षिणी मेमिटिक लिपि से निकली हांगी. वास्तव में वह किम लिपि में निकली यह अब तक मालम नहीं हुया परंतु ओमन' या हँड्माँट' या मित्र आदि के बडगं में उम (मृललिपि) का पना एक न एक दिन लगना मंभव है.' गवर्ड क्लॉड लिम्बना है कि फिनिशिअन में संविअन (हिमिअरेटिक ) लिपि निकली और उमम ब्राधी जग मो जिन्दा ४ जि३५ पृ.५३ ज या गं मं. जि ३ प्र. संकटमा ? म 1255ता : जनवरी म.रि. मी २५ व मा ईप पृ टे प्रा जि. प.३३ मे प्रॉन फिनिशिअन श्राल्फाबर जि 1. TV..!!! श्रमीरिया के लिय देखा पृ.टि 3 - युगपिअन विद्वाना ने स्युनिफॉर्म उमलिपि का नाम रकावा है जिसके अनर तार के फल का प्राकृति के कई चित्री को मिलान में बनते है. इस बहुत प्राचीन और विचित्र लिपि के लख अमीरित्रा. बालिन् नया इंगन आदिम मिलने है. रंगन के प्रसिद्ध बादशाह दाग न अपना वृत्तान्न इमी लिपि में नान भाषानी में) बहिम्नान नामक स्थान के चटान पर खुदवाया था. ॥ फिनिशिन लिपि से निकली हुई लिपियों में से हिमिटिका मायेनइथियोपिक की ओर अग्या श्रादि इक्षिणी, श्रार अरमरक, मीरिक और चाल्डिअन उत्तरी ममिटिक लिपियां कहलानी है अरब के पक प्रदेश का नाम जिसका प्रधान नगर मसकन है. अरब के दक्षिण नट पर का एक इलाका जो श्रीमन से पश्चिम की तरफ " इंगन के समुद्र तट पर का एक प्राचीन शहर + स्टोरी ऑफ दी आल्फायेद.पृ २०७ ५ 16