पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/१०००

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नवमी -श्री जानकी-चन्म-दिन, श्री स्वामिनी जी से विवाहोत्सव, सेहरे का शुगार । एकादशी - श्री हरिवंश जी का जन्म । चतुर्दशी - नृसिंह जयंती, गर्मी की जो सेवा बाकी हो सो सब और भी इस दिन से चले. केसरिया वस्त्र, सध्या को पंचामृत-स्नान । पूर्णिमा -- श्री राधारमण जी का प्राकट्य । ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष पंचमी - कूर्मावतार । ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष दशमी - दशहरा, जमुनावी-गंगाजी का पूजन एकादशी - जल विहार, पानी भरकर उसमें सिंहासन रखकर श्री ठाकुरजी को पधरावना । चतुर्दशी-स्नान यात्रा के हेतु जल ले आगा । जल में फूल की कली, चंदन, कपूर इत्यादि ठंडी वस्तु मिलाकर ओस में ईककर रखना या विधिपूर्वक मंत्र से अधिवासन करना। पूर्णिमा - स्नान यात्रा, ज्येष्ठा नक्षत्र में पहले दिन के लाये पानी से सबेरे श्री ठाकुरजी को स्नान कराना । मुंग भीगी, फश इत्यादि ठंडी वस्तु भोग लगाना । आषाढ शुक्ल पक्ष द्वितीया - पुष्य नक्षत्र में रथ यात्रा । सफेद गोटे का बागा । जड़ाऊ अभरण. कुलह, चंद्रिका । तृतीया - श्री ठाकुरजी का. गौना । षष्ठी - पांडुरंग षष्ठी, श्री विठ्ठलनाथजी (दक्षिणवाले) का पाटोत्सव है और इसी दिन से रंगीन वस्त्र धारण कराना आरंभ होता है। एकादशी हरिशयनी । पूर्णिमा - असाही जोग, चुनरी का बागा, मुकुट, मोर की पिछवाई । श्रावण कृष्ण पक्ष प्रतिपदा या द्वितीया -जिस दिन चंद्रमा अच्छा हो हिंडोला आरंभ, लाल बागा, पाग, मोरशिखा । पंचमी-अठवांसा का उत्सव । आवण शुक्ल पक्ष तुतीया - श्री ठकुरानी तीज, चुनरी । आगा. श्री स्वामिनी जी का शुगार भारी । हिडोले का मुख्य उत्सव। पंचमी - श्याम बागा, मुकूट का शृंगार । अष्टमी - लाल बागा, मुकुट का शृंगार, बगीचे में हिंडोला । एकादशी- पवित्रा, श्री ठाकुरजी को पवित्रा यथाशक्ति समर्पण करना। द्वादशी - गुरु को और श्री ठाकुरजी को पवित्रा समर्पण करना । प्रयोदशी- चतुरा नागा का उत्सव । पूर्णिमा - रक्षाबंधन । पूर्णिमा पीछे हिडोला विसर्जन अच्छे मुहूर्त में करना । भाद्रपद कृष्ण पक्ष सप्तमी - श्री विष्णु स्वामी का जन्मोत्सव, किसी किसी मत से पूतना-वध के कारण छठे दिन छठी नहीं हुई थी, इसी इस सप्तमी को हुई। अष्टमी - महामहोत्सव जन्माष्टमी पहिले दिन से सब तैयारी कर रखना । उत्सव के दिन बड़े सबेरे उठना । घर में जितने स्वरुप अकुर जी के छोटे बड़े हो सब को पंचामृत स्नान कराकर अभ्यंग कराके उत्तम केसरिया वस्त्र शंगार भारी कुलह चद्रिका आदिक जहाँ तक हो सके भारी तैयारी करना । शृंगार करके तिलक करना, भेट धरना । बंदनवार थापा केले का संभा लगाना । अष्टमी के दिन को श्री ठाकुर जी के जनम गाँठ के उत्सव की भावना करना और रात को उन्मोत्सव की भावना । सध्या से रोशनी करना । अर्द्धरात्रि को एक छोटे Rorter Musta भारतेन्दु समग्र ९५६