पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/१००४

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हिंदी कुरानशरीफ़ रचनाकाल सन् १८७५ । हरिश्चन्द्र चन्द्रिका जि. २ सं. ८ - १२ सन् १८७५ में पहली बार अपूर्ण प्रकाशित।- सं. हिंदी कुरानशरीफ मुहम्मदीय मत प्रयुक्त ईश्वर के पवित्र और आदरणीय वाक्य आरंभ करता हूँ क्षमा करने याले और दयालु ईश्वर के नाम के साथ । सब स्तुति उसी की है जो लोकों का मत है । हम तेरी ही वंदना करते और तुझी से सहायता चाहते हैं । मुझको सीधा मार्ग दिखा । जो मार्ग उनका है जिन पर तूने कृपा की है न कि उनका जिन पर तूने क्रोध किया है और जो भूले हैं। १ म. खण्ड समाप्त हुआ । आरंभ करता हूँ क्षमा करनेवाले और दयालु ईश्वर के नाम के साथ । निस्संदेह यह पुस्तक धर्मियों को उसका मार्ग दिखाती है । जो बिन देखे विश्वास करते हैं और वंदना का नियम रखते हैं और उस पर संतोष रखते हैं जो मैंने उन्हें दिया है । और जो लोग कि उस पर विश्वास लाते हैं जो तुम्हारे लिए उतारा गया और जो तुम्हारे पूर्व उतारा गया और जो अंत के दिन का स्मरण रखते हैं । यही लोग अपने परमेश्वर की शिक्षा पर चलने वाले और यही लोग मुक्ति पाने वाले हैं । और निश्चय जो लोग बहिर्मुख हैं उन्हें चाहे तू कितना भी डरावै या न डरानै वे विश्वास न करेंगे । कृपा की ईश्वर ने इनके चित्त कान और आँखों पर और उन पर परदा है और उनको बड़ा पाप है । मनुष्यों में कोई कहते हैं कि ईश्वर पर विश्वास लाए हम और पिछले दिनों पर निश्चय किया और कोई विश्वास नहीं लाते । वे ईश्वर से और उसके विश्वासियों से छल करते हैं पर यह नहीं समझते कि उन्होंने अपनी आत्मा से छल किया । इनके चित्त में व्याधि है और ईश्वर ने बढ़ाई है इनकी व्याधि, और वे पाप के और दुःख के भागी हैं क्योंकि वे झूठ बोलनेवाले थे, जब उनसे कहा जाता है कि पृथ्वी पर उपद्रव मत करो वे कहते हैं कि हम योग्य करते हैं, निश्चय रक्खो कि वे पाखंडी हैं और अज्ञानी हैं, जब उनसे कहा जाता है कि तुम भी विश्वास करो जैसे औरों का विश्वास है तो वे कहते हैं, कि विश्वास हम कैसे करें विश्वास करनेवाले तो मूर्ख हैं पर निश्चय रखो कि वे ही मूर्ख हैं पर वे अपने को जानते नहीं । वे जब धर्मियों से मिलते हैं तब कहते हैं कि हम भी उस पर विश्वास रखते हैं पर जब अपने (पाखंडी) वर्ग के मुखियों से मिलते हैं तो कहते हैं कि हम निस्संदेह तुम्हारे साथ हैं हँसी नहीं करते, (परंतु) ईश्वर उनसे हँसी करता है और उनको अपने विरुद्ध प्रेरणा करता है, यही लोग हैं जिन्होंने शिक्षा के बदले कुमार्ग मोल लिया इससे इनके व्यापार में न तो कुछ लाभ हुआ और न हनको मार्ग मिला, इन लोगों की उपमा उस मनुष्य की है जिसने आप आग लगाई और अपने पास की वस्तु जला दी इसी से ईश्वर ने FREE भारतेन्दु समग्र ९६०