पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/१००५

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vies* उनका प्रकाश हरण कर लिया और उनको अंधकार में डाल दिया इसी से वे नहीं देखते । वे बहिरे अंघे और गूंगे हैं क्योंकि उनकी गति नहीं । वा मेघ की आकाश में अंधेरी और गरज और चमक से वे कानों में उंगली करते हैं पर मृत्यु की कड़क (बिजली) से डरो और (निश्चय रक्खे कि) मगवान दुष्टों को आच्छादन करने वाला है । निकट है कि वह बिजली उनकी दृष्टि हरण कर ले जाय क्योंकि वह जब उनको प्रकाश देती है तब वे उस मार्गपर चलते हैं और वह जब अंधकार करती है तब वे खड़े रह जाते हैं और यदि ईश्वर चाहे तो उनका कान और आँख हरण कर ले क्योंकि निश्चय ईश्वर वस्तु मात्र का प्रभु है । हे लोगो ! अपने परमेश्वर की बंदना करो जिसने तुमको और तुम्हारे पूर्वजों जो उत्पन्न किया तो बचोगे । जिसने तुम्हारे हेतु पृथ्वी का बिछौना बनाया और आकाश की छत और आकाश से पानी उतार कर फल उत्पन्न करके तुम्हारा मोज्य बनाया इससे उसकी किसी की समता मत दो यह तुम जानते हो । यदि तुमको इस विषय में संदेह हो तो जो वस्तु हमने अपने दासों के हेतु बनाई है इसमें से (एक भी) वस्तु वैसी ही लाओ और अपने साक्षियों से पूछो कि ईश्वर को छोड़ कर तुम (कैसे) सच्चे हो तुम वैसा नहीं कर सकते निश्चय तुम वैसा नहीं कर सकते इससे उस अग्नि से डरो जिसका मनुष्य इंधन है और पत्थर (भी उन) पाखंडियों के हेतु बनाये गए है, और लोगों को यह समाचार शुभ है जिन्होंने उस पर विश्वास किया है और अच्छी करनी की है क्योंकि उनके लिए वे स्वर्ग बने हैं जिनके नीचे नहरे बहती है और उनको (उत्तम) फलों का भोजन मिलेगा तब वे कहेंगे कि यह वह वस्तु है जो हमै पहिले ही से मिली हैं जो एक दूसरे के समान हैं और ये अवर्णनीय और पवित्र हैं और वे उसमें सर्वदा रहने वाले हैं निश्चय भगवान को इसमें लज्जा नहीं है कि कोई मच्छड़ की उपमा दे या कोई और उपमा दे जो लोग विश्वास रखते हैं वे भली भांति जानते है कि निश्चय यह उनके ईश्वर का कहा है पर जो अविश्वासी हैं वे कहते हैं कि ईश्वर को ऐसी उपमा देने की क्या आवश्यकता थी। इसी से वह बहुतों को सन्मार्ग दिखाता है और बहुतों को वह भुलाता है क्योंकि वे उसकी आज्ञा उल्लंघन करते हैं । जो दुष्ट लोग शपथ किये पीछे ईश्वर के साथ के नियमों को तोड़ते हैं और जिन बातों को उसने जोड़ने की आज्ञा दी है उनको भी तोड़ते हैं और सारे देश में उपद्रव उठाते हैं वे निश्चय हानि वाले हैं । जिसने मृत से तुमको जीवनदान दिया और जीवित से मृत करेगा और फिर जिलावैगा और अपने पास बुलावैगा उस ईश्वर पर तुम क्यों नहीं विश्वास करते । उसी ने पृथ्वी पर की सब वस्तु तुम्हारे हेतु उत्पन्न को और सातो आकाश की ओर दृष्टि फेर कर पृथ्वी से उसका (गुणद) संबंध स्थिर किया और वही सर्वज्ञ है । जब उसने देवताओं से कहा कि मुझको पृथ्वी पर एक आश्चर्य (ईश्वर का दूत और स्थानापन्न) रखना है तो देवताओं ने कहा कि क्या आप ऐसा मनुष्य भेजा चाहते हैं जो उपद्रव करे और पृथ्वी पर बहुत चीवों का बध करै । हम लोग सदा आप का गुणगान करते हैं और आप की पवित्र मूर्ति का ध्यान करते हैं (अर्थात् हम पृथ्वी पर भेजे जाने के योग्य हैं) ईश्वर ने कहा तुम सब अल्पज हो सर्वज्ञ केवल मैं हूँ फिर आदिम को उसने अपनी सृष्टि के स्थावर जंगमों के नाम बताए और उन वस्तुओं को देवताओं को दिखाकर उनका नाम पूछा । उन लोगों ने कहा प्रभु तू सबसे निराला है हम सब केवल उतना ही जानते हैं जितना ज्ञान तूने हमें दिया है और निस्संदेह सर्वज्ञ केवल तू है । तब ईश्वर ने आदिम से कहा कि तू इनके नाम बता तब उसने सब नाम बतलाए तब ईश्वर ने कहा कि देखो पृथ्वी और स्वर्ग का त्रिकाल ज्ञान हमको है और हम तुम्हारे प्रगट और प्रच्छन्न कमों को जानते आज्ञा दिया कि सब देवता इसकी वंदना करो और सबने वंदना की परंतु अवलीश (इबलीस) ने वंदना न की आज्ञा से फिर गया क्योंकि वह दुष्ट था । मैंने आज्ञा दी कि ए आदिम तुम और तुम्हारी स्त्री वैकुंठ में रहो और सावधानी से इन अमृत फलों को खाओ और चाहो जहाँ फिरो परंतु इस वृक्ष के पास मत जाना नहीं तो पापी होगे परंतु उनको स्तेन (शैतान) ने बहकाया और उनको उस परम सुख से च्युत किया । तब मैंने कहा कि तुम नीचे उतरो, तुम्हारे में परस्पर बैर है और बहुत काल तक तुमको पृथ्वी पर रहना है और बड़े काम करने हैं फिर आदिम ने अपने ईश्वर से बहुत से धर्म सीखे और ईश्वर उनपर दयालु हुआ क्योंकि वह सच्चा दयालु और क्षमावान है । फिर मैंने कहा कि तुम सब नीचे उतरो और जब कभी कोई हमारा अनुशासन मिले तो उसको मानो क्योंकि जो हमारी आज्ञा मानते हैं उनको न भय है न शोक पर जो उस आशा का उल्लंघन करते हैं और हमारे अनुभवों को झुठा करते हैं वे नारको है हिन्दी कुरान शरीफ १६१