पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/१०४२

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प बदे ।। उहै चल चाभ रोअल करीला पाटी माथा पटक पटक। लेईला जब कि रात के करवट तोरे बदे ।। राजा नवाब बाबू के ताडीला ए रजा। होय जाई राज रामधे कोरट तोरे देके सारन के बहाली तू घरे चल आव: । आज न आय सक: कौनो बखत कल आव: ।। आज खरचा भी दुकनदार से पौले बाडी । चल के बैठक में बचा चाभ के मगदल आव: ।। नरकू चिरकिट और पनारू से कह : घुरपतरी । नल के बंगले में तो हौऐं सभे बैठल आव : ।। जाला सरवा देख: बतौले झाँई। देख के कैसनै हमन के हो खड़कल आव : ।। के पान महाबीरो के टीका देके । मल के देही में अतर सांझी बेरा चल आव: ।। सारे चल आवै ले सब खोज में हमरे तोहरे । मोड़ वा गल्ली के आगे तनी भड़कल आव : ।। कौनो सरवा नहीं समझाय के कहते राजा। तेग से कौन बदे बाड़: तुं खड़कल आव: ।। भौं चूम लेइला केह सुन्दर जे पाईला। हम ऊ हई की होठे प तरुवार खाईला ।। डन के के अपने रोज तो रहिला चबाइला । राजा के अपने खुरमा औ बुदिया चभाइला ।। सौ सौ तरे के मूड़े प जोखिम उठाईला । पै राजा तोहें एक बेरी देख जाईला ।। पुतरी मतिन रखब तोहे पलकन के आड़ में । तोहरे बदे हम आँखी में बैठक बनाईला ।। कहली कि काहे आँखी में सुरमा लगावल: । हँस के कहै लै छुरी के पत्थर चटाईला ।। हम झारै वाला बाड़ी हजारन में रामधै। पै राजा तोंसे बेंत मतिन थरथराईला ।। चेहरा प लुभायल बाहै। सैकड़न सरवा तेरे आँखी क घायल बाडै ।। रात भर कहरीला खटिया प परल हम संगी। केह राजा सौ कहै काहे कोहायल बाडै ।। बाघ की नाई महल्ला में त डौंडत होइहैं । सब केहू कहला टहलू त परायल बाड़ें ।। आँख की पुतरी मतिन सामने नाचत होइहैं ।। नींद जब आवैले तब देखीला आयल बाई ।। राजा बाबू तोरें १. तेग अली, जिसकी यह रचना है। KOMAL भारतेन्दु समग्र ९९८