पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/१०४७

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कानून ताज़ीरात शौहर रचना काल सन् १९५३। नाट्य शैली में लिखा गया लेख। सं. कानून ताज़ीरात शौहर पहिला बाबर तमहीद चूकि मुनासिब मालूम हुआ कि एक कानून ऐसा हजरा किया जावै जिस से बाद शादी के जौज़: : अपने शौहरों पर बखूबी हकूमत कर सके और इस सबब से उन दोनों मैं निफ़ाक न पैदा हो लेहाड़ा कानून हस्वजल मुरौविज किया गया । दफ़ा: (१) इस कानून का नाम ताज़ीरात शौहर होगा, हिंदुस्तान में कोई औरत या मर्द जो शाली कर लेगा वह कानूनन इस का पाबन्द समझा जायगा । मुस्तसना १० जो अहल१९ यूरप हिदुस्तान में आकर शादी करेंगे वह इस कानून से मुस्तसना समझे जायेंगे । दूसरा बाब बयान असर१२ अलफाज१३ दफः (२) किसी औरत के तहत हुकूमत१४ में कोई शै१५ जो कि जाहिरा६ मनकूल:१७ मगर बगैर हुक्म औरत के गैरमनकूल:१८ है उस से मुराद शौहर है। १. पति दंड विधान २. प्रकरण ३. भूमिका ४. पत्नी ५. झगड़ा ६. निम्न के अनुसार ७. प्रचलित ८. धारा ९. आबद्ध १०. मुक्त ११. निवासी १२. परिभाषा १३. शब्दों १४. शासन के अधीन १५. वस्तु १६. प्रकट में १७. चल २८. अचल कानून ताजीरात शौहर १००३ 66