पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/१०५२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

बे-शौहर किसी मोहफिल में गया और वहाँ ब मजबूरी उस को रंडियों का तमाशा देखना पड़ा तो यह भी दिलशिकनी हुई। जीम - शौहर किसी ऐसी मजहबी जमायात' में शरीक हुआ जिस में बहुत सी औरतें मौजूद थीं अगरचे मजहब के पाबंद हो कर उस का उस जमायत में शरीक होना फर्ज था मगर उस से दिलशिकनी दाल – अगर शौहर किसी ऐसी राहा से गुजरा कि जिसमें किसी सबब से कुछ औरते जमा थीं तो वह मुर्तकिब जुर्म दिलशिकनी हुआ । हे -किसी रिश्त :दार के सबब से या किसी मुआमिल : के सबब से किसी शौहर ने दूसरे औरत से जरूरी गुफ्तगू की तो मुजरिम दिलशिकनी हुआ । बाव -लड़कों को पढ़ने की ज्याद : ताकीद करना मी जुर्म दिलशिकनी है । जे – रंगरेज पर कपड़ा जल्द न रंगलाने की, दरजी पर कुरती जल्द न सीने की ताकीद नहीं करना या उन कामों का जल्द अंजाम पाना उसके अखतियार के बाहर है, तो वह शखस मुजरिम दिल शिकनी का हे - मेले या तमाशे वगैर : के ऐसे मौकों से जिस में इज्जत जाने का खौफ है, जोरू को बमिन्नत बाज रखना भी जुर्म दिलशिकनी है। दफ :(३०) मुजरिम दिलशिकनी को सर्सरी की कुल सजायें दी जा सकती हैं। ग्यारहवाँ बाब हंगाम:७ दफ :(३१) जोरू की किसी बात का जवाब देना जुर्म हंगाम : है। दफ: (३२) हंगाम : करनेवाले मुजरिम को रोने या बकने की सजा दी जायगी । कित: ताराख तसनीफ दर सन् १८८३ ई. । चोगरदीद ई जेराफतनाम: तसनी] । के बागद हर्फ़ हरफ़श दुर ओ गौहर ।। जे १०रुये आबरू शुद ईसवी साल। निको कानून ताजीरात शौहर ।। SUN १. सभा, २. सम्मिलित, ३. यद्यपि, ४. कर्तव्य, ५. वाताप ६. पूरा होना, ७. विद्रोह, ८. एक छंद, ९. रचना, १०. जब यह बुद्धिमानी की रचना प्रणीत हुई, जिसके हर एक अक्षर मोती से हैं । तब प्रतिष्ठा के रूप में ईसवी साल हुआ 'निको कानून ताबीरात शौहर' । (१८८३) भारतेन्दु समग्र १००८