पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/१०७३

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yx शृंगार, हास्य आदि रस इसमें मिले रहैं जिसमें इनका प्रचार सहज में हो जाय । वाल्य विवाह - इसमें स्त्री का बालक पति होने का दु:ख, फिर परस्पर मन न मिलने का वर्णन, उससे अनेक भावी अमंगल और अप्रीतिजनक परिणाम । जन्मपत्री की विधि – इससे बिना मन मिले स्त्री-पुरुष का विवाह और इसकी अशास्त्रता । बालकों की शिक्षा इसकी आवश्यकता, प्रणाली, शिष्टाचारशिक्षा, व्यवहार-शिक्षा आदि । बालकों से बर्ताव - इसमें बालकों के योग्य रीति पर बर्ताव न करने में उनका नाश होना । अँगरेजी फैशन - इससे बिगड़कर बालको का मद्यादि सेवन और स्वधर्म विस्मरण । स्वधर्मचिंता – इसकी आवश्यकता । भ्रूणहत्या और शिशुहत्या - इसके प्रचार के कारण, उसके मिटाने के उपाय । फूट और बैर - -इसके दुर्गुण, इसके कारण भारत की क्या-क्या हानि हुई इसका वर्णन । मैत्री और ऐक्य – इसके बढ़ने के उपाय, इसके शुभ फल । बहुजातित्व और बहुभक्तित्व -के दोष, इससे परस्पर चित्त का न मिलना, इसी से एक का दूसरे के सहाय में असमर्थ होना । योग्यता - अर्थात केवल वाणी का विस्तार न करके सब कामों के करने की योग्यता पहुंचाना और उदाहरण दिखलाने का विषय । पूर्वज आयो की स्तुति -इसमें उनके शौर्य, औदार्य, सत्य. चातुर्य विद्यादि गुणों का वर्णन । जन्मभूमि - इससे स्नेह और इसके सुधारने की आवश्यकता का वर्णन । आलस्य और संतोष - इनकी संसार के विषय में निंदा और इससे हानि । व्यापार की उन्नति - इसकी आवश्यकता और उपाय । नशा -- इसकी निंदा इत्यादि । अदालत -- इसमें रुपया व्यय करके नाश होना और आपस में न समझने का परिणाम । हिंदुस्तान की वस्तु हिंदुस्तानियों को व्यवहार करना इसकी आवश्यकता, इसके गुण, इसके न होने से हानि का वर्णन । भारतवर्ष के दुर्भाग्य का वर्णन - करुणा रस संवलित । ऐसे ही और विषय जिनमें देश की उन्नति की संभावना हो लिए जायँ । यद्यपि यह एक एक विषय एक एक नाटक, उपन्यास वा काव्य आदि के अंध बनाने के योग्य है और इनपर अलग ग्रंथ बनें तो बड़ी ही उत्तम बात है, पर यहाँ तो इन विषयों के छोटे छोटे सरल देशभाषा में गीत और छंदों की आवश्यकता है जो पृथक पुस्तकाकार मुद्रित होकर साधारण जनों में फैलाए जायेंगे । मैं आशा करता हूँ कि इस विषय की समालोचना करके और पत्रों के संपादक महोदयगण मेरी अवश्य सहायता करेंगे और उत्साही जन ऐसी पुस्तकों का प्रचार करेंगे। जातीय संगीत १०२९