पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/११२५

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भारतेन्दु बाबू के पत्र गोस्वामी श्रीराधाचरण जी को श्रीकृष्ण प्रियवरेषु बहुत दिनों से आप का कोई पत्र नहीं आया, चित्त चिंतित है, सर्वदा कुशल पत्र से चित्त आनन्दित किया कीजिए, यहाँ योग्य कार्य हो वह भी असंकुचित होकर लिखिए । भवदीय स्नेहाभिलाषी हरिश्चंद्र (२) महोदयेषु मैं तीन चार दिन में शायद श्रीवन आऊँ, कृपापूर्वक एक स्थान अपने अति निकट रखिए, दो बात, मुख्य आराम देख लीजिएगा एक तो पाखाना स्वच्छ हो और दूसरे दिन का गर्म न हो चाहे अति छोटा हो । हरिश्चंद्र (३) शत कोटि प्रणामानंतर प्रम्णा विज्ञापयति - श्री हरिदास, श्री हरि वंश जी, श्री नागरीदास जी, श्री आनन्दघन जी, और श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु के चित्र हैं अनुग्रह पूर्वक लिखिए कि और किन किन महात्माओं के चित्र आपको मिले हैं - दासानुदास हरिश्चंद्र ६ शमी (४) प्रणाति पूर्विका विज्ञप्ति : श्री अद्वैत महाप्रभु का उत्सव बंगला पत्रों में उत्सवों की तालिका में वैसा ही है जैसा उत्सवावली में लिखा है, क्या वह दिन नहीं है जो भारतेंदु में ७ लिखी है ? इसको जरा निश्चय कर लीजिए, मैने बंगला कई पत्र देखे सब में ५ ही मिली। दासानुदास हरिश्चन्द्र (५) मित्रेषु, दूसरी आवृत्ति में उत्सवावली में उत्सव का दिन शुद्ध कर दिया जायगा । तुम्हारा हरिश्चन्द्र (६) अनेक कोटि साष्टांग प्रणाम आप का कृपा पत्र मिला चंद्रिका सेवा में भेजी है स्वीकृत हो । आप अनेक ग्रंथों का अनुवाद करते हैं तो चैतन्य चंद्रोदय का अनुवाद क्यों नहीं करते ? बड़ा ही गपय नाटक है, इसके छंद मात्र मैं दत्तचित्त होकर बना पत्र साहित्य १०८१