पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/११३६

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१८ मई सन् १८७४' कविवचन सुधा' "अब तो प्रति वर्ष में कहीं न कहीं दुष्काल पड़ा ही रहता है मुख्य करके अंगरेजी राज में इसका घर है और बहुधा ऐसा सुनने में आया है कि विसूचिका का रोग जो अब सम्पूर्ण भारत खंड में छा रहा है अंगरेजों के राज में इसका घर है और बहुधा ऐसा सुनने में आया है कि विसूचिका का रोग जो अब सम्पूर्ण भारत खंड में छा रहा है अंगरेजों के राज के आरंभ से इसका प्रारम्भ हुआ है । जब अंगरेज विलायत से आते हैं प्रायः कैसे दरिद्र होते हैं और जब हिन्दुस्तान से अपने विलायत को जाते हैं तब कुबेर बन कर जाते हैं इससे सिद्ध हुआ कि रोग और दुष्काल इन दोनों के मुख्य कारण अंग्रेज ही हैं।" 'कवि बचन सुधा २० जुलाई १८७४ बंगाल में अकाल पड़ा है इस्से इसके समाप्त होने पर किताब का भाव निस्संदेह बहुत सस्ता हो जायेगा जहां तक कि टके सेर तक बिकै तो आश्चर्य नहीं, हम ग्राहकों को समाचार देते हैं कि वे प्रस्तुत हो रहे हैं केवल थोड़ा सा कागज रंगने झूडी मीठी रिपोर्ट कर देने पर खिताब मिल जायेगा पर ढंगबाजी शर्त है राय बहादुर राजा रौव्याब स्टार सब बाजार में आवैगे ग्राहक लोग मियानी खोल रक्खें।" कवि वचन सुधा'३१.८.७४ "सच मत बोल' "अखबार वाले इतना भूकते हैं कोई नहीं सुनता अंधेर नगरी है व्यर्थ न्याय और आजादी देने का दावा है सब स्वार्थ साधते साधते ही कहोगे गर्वमेंट के लोग तुमसे भला न मानेगे सारांश यह कि सच्ची बातें जिनसे कहोगे व तुम्हें शत्रु जानेंगे। "मुसलमान लोग अंग्रेजों की अपेक्षा सौगुन अपव्ययी थे, परन्तु वे लोग इस देश के निवासी थे इससे उनका अर्थ समुदाय इसी देश में व्यय होता था . . . जिस प्रकार अमेरिका उपनिवेषित होकर स्वाधीन हुई वैसे ही मारतवर्ष में भी स्वाधीनता लाभ कर सकता है परन्तु भारत वर्ष उपनिवेषित होने से इसके विपक्ष भी बहुत आपत्ति है। भी बहुत आपत्ति है । बीस करोड़ भारतवर्ष को पचास हजार अंग्रेज शासन करते हैं ये लोग प्रायः शिक्षित और सभ्य है परन्तु इन्हीं लोगों के अत्याचार से सब भारतवर्षीगण दुखी रहे हैं।" 'हरिश्चंद्र मैगजीन' के पहले ही अंक में सं० अंग्रजों को घूस, सलाम बड़ेगी ऐड्रेसी सी कुछ मिलता है । धन विद्या कौशल सब उनके पास है । उन्हीं के आवभगत के लिए सभाएं होती हैं । एका और बल उनके पास है । हिन्दुस्तानियों के हिस्से में मूर्खता है कायरता धक्के खाना पड़ा है । जो भाग्यशाली है वे दरवार में कुर्सी पाते हैं कौंसिल मेम्बरी और सितारे हिन्द का खिताब पाते हैं।" सम्पादकीय नोट खबरें अकसर"कविवचन सुधा' में बनारस आदि के बारे में खबरें भी छपती थी, सम्पादकीय टिप्पणी के साथ ऐसी ही दो तीन खाबरे कवि वचन सुधा से दी जा रही है। इससे भारतेन्तु जी के समाचार संकलन और सम्पादकीय सचि का पता चलता है। Hk भारतेन्दु समग्र १०९२