पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/११४५

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पर कोई लिखे जिसकी कथा मनोहर और करुणापूर्व तथा आटर्यजन के चित्त में घृणा लज्जा और उत्साह बढ़ाने वाली हो तो ५० रु० से १०० रु० तक पारितोषिक दिया जायेगा ग्रंथ उत्तम विचित्र कथापूर्ण और छोटा न हो । हरिश्चंद्र इसी आशय का हरिश्चंद्र ने बाबू रामदीन सिंह जी को एक पत्र भी लिखा था। -सं. पुस्तकालय किन्ही शीतलप्रसाद के पुस्तकालय के सन्दर्भ में प्रकाशित इस विज्ञापन से मारतेन्दु के पुस्तक एवं पुस्तकालय प्रेम पर प्रकाश पड़ता है। -सं० आपका पुस्तकालय सहायहीन हो जर्जर हो गया हम आप लोगों से प्रार्थना करते है कि आप लोग कृपा कर थोड़ी थोड़ी सहायता करें । पुही पुही तालाब भरता है । इस लोकोक्ति के अनुसार यह शुभ कार्य मलीभाति सम्पन्न हो जायेगा गत मुनशी जी के आबू रामदास उस पुस्तकालय को सहायता करने को सब भांति उद्यत है और श्री बाबू गुरुदास मित्र ने घर भी बहुत उत्तम दिया है और उस्मे पुस्तके भी बहुत भाषा को रक्खी है पर केवल परें की सहायता के बिना वह नष्ट प्राय हो रहा है आशा इस पत्र को देखने वाले कुछ सहायता अवश्य करेंगे । बरन मेरी यह विनती है कि सहायता थोड़ी ही की जाय जिसमें उसका निर्वाह निष्कंटक होता रहे । कविवचन सुधा १७ अगस्त सन् १८७२ आपलोगों का दास. हरिश्चंद्र कुष्ठ व्यापारिक विज्ञापन लवेन्डर का सपटन ल्फोरिडा बारद सुगन्ध का जल यह सुगन्धी और सप सुगन्धियों से अच्छी है सिर में लगाने कपड़े में लगाने और रुमाल में छिड़कने योग्य है और सिर की व्यया घूमटा, जी मचलना और गरमी को इसकी सुगन्ध दूर करती है और इस्से मुंह धोने से मुह के मुहासे और किसी प्रकार के मुढ के दाग हो तो दूर जाते है और बात में पीड़ा हो तो पानी मिला कुल्ली करने से दांत भी शुद्ध हो जाते है । अभी हम लोगो ने इसको इन्द्र प्रकाश आफिस से थोड़ा सा नमूने के हेतु मंगाया है जिसको मंगाना हो लिये। हरिश्चंद्र मूल्य ३)रु कविबचन सुधा २० जुलाई सन् १८७२ 'शुख माता का तृध" बालक का अशक्त को केवल यही योग्य भक्ष्य है। Rest पत्रकार कर्म १०९९ 72