पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/११५४

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बुध को हरे कागज पर "श्रीगुरु गोविन्दायनमः" "बुध जन दर्पण में लखत दृष्ट वस्तु को चित्र । मन अनदेखी वस्तु को यह प्रतिबिम्ब विचत्र ।।" गुरुवार को पीले कागज पर "श्रीगुरु गोविन्दायनमः" "आशा अमृत पात्र प्रिय बिरहातप हित बचन चित्र, अवलम्बप्रद कारज साधक पत्र ।।" शुक्रवार को सफेद कागज पर "कविकीर्ति यशसे नमः" "दूर रखत करलेत आवरन हरत रखि पास । जानत अन्तर मेद जिय पत्र पथिक रसरास ।।" शनिवार को नीले कागज पर "श्रीकृष्णायनमः" "और काज सनि लिखन मैं होइ न लेखनि मन्द । मिलै पत्र उत्तर अवसि यह बिनवत हरिचन्द ।।" परिशिष्ट भारतेन्दु जी के निधन पर उनके निकटतम मित्र व्यास राम शंकर शर्मा जी ने 'चन्द्रास्त' नामक पुस्तक छपवा कर बँटवायी थी। व्यास जी भारतेन्दु जी की टूटती साँस के चश्मदीद गवाह थे।"चन्द्रास्त' में ही उन्होंने भारतेन्दु जी की पहली जीवनी भी प्रकाशित की थी जो यहाँ दी जा रही है। व्यास जी कुछ दिनो तक "कविवचन सुधा" के सम्पादक भी थे। चन्द्रास्त अर्थात श्रीमान कविशिरोमणि भारतभूषण भारतेन्दु श्री हरिश्चन्द्र का सत्यलोक गमन अद्य निराधाराऽभूदिवंगते श्री हरिश्चन्द्रे । भारतधरा विशेषादभाग्यरूपा महोदयानन्द्रे ।। अतिशय दु:खित व्यास रामाशंकर शर्मा लिखित अमीरसिंह द्वारा बनारस हरिप्रकाश यंत्रालय में मुद्रित हुआ १८८५ बिना मूल्य बँटता है भारतेन्दु समग्र १२००