पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/२२८

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'हरीचंद जू' बाकी न नेकु कमी रहै । देखहु नेकु दया उर के खरी द्वार अरी यह जाचक-भीर है। दीजियै भीख उघारि के चूंघट प्यारी तिहारी गली को फकीर है ।५० अब तो जग मैं खुलि के चहुंघा पन प्रेम को पूरो पसारि चुकी । कुल-रीति औ लोक की लाज सबै 'हरीचंद जू' नीके बिगारि चुकी । वहि सांवरि मूरति देखत ही अपुने सरवस्वहि हारि चुकी । जग में कछु कोऊ कहौ किन हौं तो मुरारि पै प्रान को वारि चुकी ।५१ Art छोटे प्रबंध तथा मुक्तक रचनाएं स्वर्गवासी श्री अलवरत वर्णन अंतलापिका [रचनाकाल सन् १८६१-१८८४] छप्पय का हवे पर दल परत महि ।२ बस हित सानुस्वार देव-आणी मधि का है ? तुव धन कासों है बढ़ि ? को पुनि देश जवन को ? अद्यहि भाषा माहि कहा सब माखन चाहे? कोन मुखर ? तुम करत कहा अरि देखि भवन को ? को तुव हार्यो सदा ? दान तुम नितहिं करत किमि ? तरु को सोभा कहा ? होत तन से कह तुव अरि ? का तुव मीठे सुनत ? कहा सोहत नागिन जिमि ? महरानी तुम कह का कहत ? अरि-सिर पैतुम का घरत ? पर सो कायर कहा न ? तुम किमि चलत सैन दरि ? का जल की सोभा ? तोहिं बाल चालावन की सदा कहा परी पर फौजलखि? कौन तुव सैन सदा निज भुज करत ।१ कह बाजि उठत धन गाजि जिमि साजत तोहि रन लखि हरखि १३ तुम स्व-नारि मैं कहा ? कौन रच्छा तुव करई ? का करिके तुव सैन सत्रु को बल परिहरई ? कह सितार को सार ? सत्रु के किमि मन तेरे ? कैसो तुव जन डियो तत काकी मार प्रहार सीस अरि हने घनेरे ? कैसो तुव जन हियो ? ततो वाचक का भासा ? का तुम सैनहि देत सदा उनतिसएँ ही दिन ? तुव अरि-सिर नित कहा ? कौन बल बरसत खासा ? कहा कहत स्वीकार समय कछु अवसर के छिन ? तुव पग संगर में का करत ? कोन प्रथम पाताल कहि? को महरानी को पति परम सोभित स्वर्गहि वैरह्यौ? आमोदित कासों तुव बसन ? अलवरत एक छत्तीस हन प्रश्नन को उत्तर कस्यौ ।४

१४ दिसंबर सन् १८६१ ई. को क्वीन विक्टोरिया के पति प्रिस एलबर्ट की मृत्यु के समय लिखी थी। (यथा अलं, अव, अर, अत इत्यादि क्रम से छत्तीसों प्रश्नों के उत्तर केवल अलवरत इन पाँचही अक्षर में निकलते हैं इसीलिए इन्हें अन्तलापिका कहाँगया है। लापिका अपहेली का होता है।) भारतेन्दु समग्र १८