पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/२४९

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रुस मिले सो रेल के आगम-गमन-प्रचार । आदर दे के राखियो करियो नित चित प्रीत ।१७ घन जन बल व्यवहारने छोड़ो यह सुकुमार ।१४ | जौ यासौं जिय नहिं रमै वा कछु जिय अकुलाय । तासों तुम्हरे कर-कमल सौंपत एहि नर-नाह । सौति बधू वा एहि लखै हौ हम कहत उपाय ।१८ जब लौं जीवें कीजियौ तब लों कवर ! निबाह ।१५ बब हम सब मिलि एक-मत वै तोहिं कहिं प्रनाम । यह पाली सब प्रजन अति करि बहु लाह उमाह । फेरि दीजियो तब हमैं दै कछु और इनाम ।१९ अति सुकुमारी लाडिली सौपत तोहि नर-नाह ।१६ | जब लौं धरनी सेस-सिर जब लौ सूरज-चंद । यह बाहर कहुँ नहिं भई सही न गरमी सीत । तब लौं जननी-सह जियो राजकुंवर सानंद ।२० B एRD उर्दू का स्यापा जून १८७४ की 'हरिश्चन्द्र चन्द्रिका' में प्रकाशित अलीगढ़ इंस्टिट्यूट गजट और बनारस अखबार के सोग माना. लोग भी मातम-पुरसी को आए । उनमें देखने से ज्ञात हुआ कि बीबी उर्द मारी गई और परम उनके चार पाँच मित्रों ने पूछा कि मियाँ साहब आप अहिंसानिष्ठ होकर भी राजा शिवप्रसाद ने यह हिंसा बुद्धिमान होके ऐसी बात मुंह से निकालते हैं. भला की – हाय हाय ! बड़ा अंधेर हुआ मानो बीबी उर्दू आपके जीते आपकी जोरू कैसे रॉड होगी? मियाँ अपने पति के साथ सती हो गई । यद्यपि हम देखते हैं साहब ने उत्तर दिया - "भाई बात तो सच है. खुदा ने कि अभी साढ़ तीन हाथ की ऊंटनी सी बीबी उदै पागुर हमें भी अकिल दी है. मैं भी समझता हूँ कि मेरे जीते करती जीती है, पर हमको उई अखबारों की बात का मेरी जोस कसे गंड होगी । पर नौकर पुराना है, झूठ पुरा विश्वास है । हमारी तो कहावत है "एक मिया कभी न बोलेगा ।" जो हो 'बहर हाल हमै उर्द का गम साहेब परदेस में सरिश्तेदारी पर नौकर थे । कुछ दिन वाजिब है' तो हम भी यह स्यापे का प्रकर्ण यहाँ सुनाते पीछे घर का एक नौकर आया और कहा कि मियाँ हैं । हमारे पाठक लोगों को रुलाई न आवे तो हंसने की साहब, आपकी जोरू रांड हो गई । मियां साहब ने | भी उन्हें सौगन्द है, क्योंकि हांसा-तमासा नहीं बीबी सुनते ही सिर पीटा, रोए गाए. बिछौने से अलग बैठे. उई तीन दिन की पट्ठी अभी जवान कट्ठी मरी है । अरबी, फारसी, पशतो, पंजाबी इत्यादि कई भाषा खड़ी होकर पीटती है है है उर्द हाय हाय । कहाँ सिधारी हाय हाय । मेरी प्यारी हाय हाय । मुंशी मुल्ला हाय हाय । वल्ला बिकत्ता हाय हाय । गेय पीटे हाय हाय । टांग घसीट हाय हाय । सब छिन सोचे हाय हाय । डाढी नोचैं हाय हाय । दुनिया उलटी हाय हाय । रोजी बिलटी हाय हाय । सब मुखतारी हाय हाय । किसने मारी हाय हाय । खबर नवीसी हाय हाय । दाँत-पीसी हाय हाय । एडिटर-पोसी हाय हाय । बात फरोशी हाय हाय । वह जस्सानी हाय हाय । चरब-जुबानी हाय हाय । शोख-बयानी हाय हाय । फिर नहिं आनी हाय हाय । 63 क छोटे प्रबंध तथा मुक्तक रचनायें २०९