पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/२५८

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जमै जोगिया पूरिया औ धनाश्री । लखि कुल-दीपक राज-सुत धाए भूप-पतंग । रहै कान्हरा देस सोरठ बिहागा। रुके न गिरिवर नगर नद समुद जमुन जल गग ।२६ कलिंगा किदारा परज आदि रागा । कहाँ पाडु जिन हस्तिनापुर मधि कीनौ जाग । मिलै तान लै राग-रंगै जमाओ । राजसूय साँची लई बृटन-रचित बल आग ।२७ मिले मान संगीत भावै दिखाओ । पूर्न कोरस रहै लाग-डाँटो उरप-तिर्प संगा । अति सुंदर मोहनी सजायो । रहै तत्थई तत्थेई तृत्य-रंगा । आजु लगत कलकत्ता सुहायो । दिखाओ कुमारै कला आज धाए । द्वार द्वार पर बंदन-माला । बड़े भाग सों पाहुने गेह आए ।१० रंग रँग बसन फूल-दल-जाला ।२८ कदली खंभ पात थरहरहीं । आरम्भ पद भय हिल हिलि मनु मन हरहीं । कहाँ सबै राजा कुँवर और अमीर नवाव । फर फर फहरत धुजा पताका । आज राज-दरबार में हाजिर होहु सिताब ।११ चम चम चमकत कलस बलाका ।२९ सिरन मुकाइ सलाम करि मुजरा करहु जुहारि । अटा अटारी बाहर मोखन । बटितहु जूतन त्यागि कै स्वच्छ बूट पग धारि ।१२ छज्जे छातन गोख झरोखन । जानु सुपानि नावाइ के पद पै धरि उसनीस । दीपहि दीपक परत लखाई । चूमि चूमि बर अभय-प्रद कर जुग नावहु सीस ।१३ मनु नभ तें तारावलि आई ३० परम माक्ष फल राज-पद-परसन जीवन माहिं । दिन को रवि अकास लखि लज्जित । बृटन-देवता राज-सुत-पद परसहु चित चाहि ।१४ कित हुलकर कित सेंघिया कित बेगम भूपाल । मनहुँ हीर गिरि खंडव सज्जित । कित काशीपति कित रहे सिक्ख-राज पटियाल ।१५ छुटत अतसबाजी रंग-रंगी । कित लायल ईजानगर मानी नृप मेवार । गगन प्रकट मनु अनल फिरंगी ।३१ कितै जोधपुर जैपुरी त्रावंकोर कछार ।१६ नव तारे प्रगटहिं नसि जाहीं । जाट भरतपुर धौलपूर राना कित तुम जाम । उड़त बान इमि गगन लखाहीं । कित मुहम्मदिन के पती दक्षिन-राज निजाम ।१७ गंज सितारनि की छबि भारी । धाओ धाओ बेग सब पहिरि पहिरि पौसाक । नभ मनु तेजोमय फुलवारी ।३२ पगरी मोती-माल गल साचि राजि इक ताक ।१८ धन कलकत्ता कलि-रजधानी । गले बाँधि इस्टार सब जटित हीर मनि कोर । जेहि लखि कै सुरपुरी लजानी । धावहु धावहु दौरि कै कलकत्ता की ओर ।१९ चलत कुँअर चढ़ि चपल तुरंगनि । चढ़ि तुरंत बग्गीन पर धावहु पाछे लागि । सँग सोभित दल बल चतुरंगनि ।३३ उडुपति संग उडुगन-सरिस नृप सुख सोभा पागि ।२० नृप-गन धावत पाछे पाछे । राज-भेंट सबही करौ अहो अमीर नवाब । अश्व चढ़े मनि काछे आछे । हाजिर हवे झुकि झुकि करौ सबै सलाम अदाब ।२१ ताजन पर कलंगी थरहरई। नृपगन दल दल सोभा करई ३४ शाखा चलहिं नगर-दरसन हित धाई। राजसिंह छूटे सबै करि निज देर उजार । झमक झमक बाजने बजाई। सेवत हित नृप बर कुँअर धाये बाँघि कतार २२ | बजत बृटिस भेरी घहराई । तजि अफगानिस्तान को धाये पुष्ट पठान । कादर मन सुनि-सुनि थहराई ।३५ हिमगिरि को दै पीठ किय कश्मीरेस पयान ।२३ रूल बृटानिय रूल दि बेबस । नाभा पटियाला अमृत-सर जम्बू अस्थान । ताल तरंग बजत अति रन रस । कच्छ सिंधु गुजरात मेवाड़ राजपुतान ।२४ कोल्हापुर आरंभ ईजानगर काशी अरु धाए नृप एक साथ सब करि सूनो निज ठौर ।२५ । उठहु उठहु भारत-जननि लेहु कुंअर भरि गोद । इंदौर। मारतेन्दु समग्न २१८