पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/२७९

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दोहा जीव, वनस्पति, शून्य, रस, वस्त्रौषधि, मनि लेख । "एक कृष्ण को ध्यान धरि, प्रश्न चित्त सों देख । मृतक, वनस्पति, लेख, जल, कृत्रिम, रस, मनि, द्रव्य। जुगल चरन सिर नाइ कै. भाषु प्रश्न फल भव्य । धातु, शून्य, जल, लेख, रस. कृत्रिम, औषध, मिन । चतुयूँह माधो सुमिरि, कह फल स्वच्छ अमिन । मिस्त्रोषध, कृत्रिम, बसन, द्रव्य, लेख, मनि भूमि । अष्ट सखी सह श्याम सजि, कह फल गुरु-पद चूमि । अपवर्ग-पंचक रचना काल सन् १८७७ परम पुरुष परमेश्वर पदापति परमाधर । पुरुषोत्तम प्रभु प्रनतपाल प्रिय पूज्य परात्पर । पदम नयन अरु पदमनाथ पालक पांडव-पति । पूर्ण पूतना-घातक प्रेमी प्रेम प्रीति गति । प्यारे यह मुख सों भाखिए संक तजै 'हरिचंद' जिमि । तुम नाम पवर्गी पाइ के अपवर्गी गति देत किमि । फलस्वरूप फनपति-फनप्रतिनिर्तन फलदाई। वासुदेव विभु विष्णु विश्व ब्रजपति बल-भाई। भरताग्रज भुवभार-हरण भप्रिय भव-भय-हर । मनमोहन मुरमधुसूदन माजर मुरलीधर । माधव मुकुंद सोई भाखिए संक तजै 'हरिचंद' जिमि । तुम नाम पवर्गी पाइ कै अपवर्गी गति देत किमि ।२ प्रिया परा परमानंदा पुरुषोत्तम-प्यारी । फलदायिनि ब्रजसुखकारिनि बृषभानु-दुलारी । बरसानेवारी बुन्दा बंदाबन-स्वामिनि । भक्त-जननि भयहरनि मनहरनि भोरी भामिनि । माधव-सुखदाइनि भाखिए संक तजै 'हरिचंद' जिमि । तुम नाम पवर्गी पाह के अपवर्गी गति देत किमि ।३ बल्लभ बल्लभ बल्लभ पण्डित मंगल मण्डन । ब्रहमवाद-कर भाष्यकार माया-मत-खण्डन । भारद्वाज सुगोत्र मिथ्या मत-तमतोम-दिवाकर पुष्टि-प्रगट-कर । भट्टकुल-मनि वेदोदर । में जीते हुए प्राणी मात्र, मृतक में चमड़ा, मांस, लोभ, केश, पंख, मल, झाला, इत्यादि जो कुछ जीव से अलग वस्तु हो । वनस्पति में पत्ता, छाल, लकड़ो, फल, फूल, गोंद, अन्न इत्यादि । धातु में बनाई हुई धातु की चीजें और बिना बनी धुतु । शून्य कुछ नहीं । जल में पानी से लेकर द्रव्य पदार्थ मात्र । रस में घी, गुड़, नमक और भोज्य वस्तु मात्र, पार्थिव में पत्थर, खाक, कंकड़, चूना इत्यादि । वस्त्र में डोरा, रुई, रेशम, इत्यादि । द्रव्य में रुपया, पैसा, हुंडी, लोट, गहना इत्यादि । मिनित में एक से विशेष वस्तु मिली है । औषध से दवाए सूखी गोली और मद्य इत्यादि । कृत्रिम मनुष्य की बनाई वस्तु । लेख में कागप, पुस्तक, कलम इत्यादि । इन वस्तुओं को ध्यान में चढ़ा लेना और छप्पय याद कर लेनी । किसी से कहा कि कोई चीज हाथ में वा जी में ले और फिर उसके सामने क्रम से दोडे पढ़ो । पुछो किस किस दोहे में वह वस्तु है जो तुमने ली है । जिन दोहों में बताये उन दोहों के दूसरे तुक की गिनती के संकेतों को जोड़ डालो जो फल हो वह छप्पय के उसी अंक में देखो ! जैसा किसी ने रस लिया है तो पहिला दूसरा और तीसरा दोहा बतावेगा उसके अंक एक जुगल चतुर अर्थात एक दो और चार गिन के सात हुए तो छप्पय में सातवीं वस्तु रस है देख लो और गणित विद्या के प्रभाव से सच्चा और सिद्ध मूक प्रश्न बतला दो। यह मूक प्रश्न कविवचन सुधा, ३० अप्रेल सन् १८७७ ई. में प्रकाशित हुआ था। छोटे प्रबंध तथा मुक्तक रचनायें २३७