पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/३१२

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ऐफलक क्या क्या हमारे दिल में अरमार रह गया। जान दी आखिर कफस में अंदलीबे१८ जार१९ ने । पागबाँ है चार दिन की बागे आलम में बहार । मुज्द:२० है सैयाद वीरां आशियान२१ हो गया । फूल सब मुरझा गये खाली बियाबाँ रह गया । जिन्द : कर देता है एक दम में य ईसाए नफस २२ । इतना एहसां और कर लिल्लाहरे ऐ दस्ते जपूँ । खेल उसको गोया मुरदे को जिलाना हो गया । बाकी गर्दन में फकत तारे गिरेबां रह गया । तौसने२३ उमरे रवा२४ दम भर नहीं रुकता 'रसा' । याद आई जब तुम्हारे रुप रौशन की चमक । हर नफस गोया उस एक ताजियाना हो गया । मैं सरासर सूरते आईना हैराँ रह गया । दिल मेरा तीरे सितमगर का निशाना हो गया । ले चले दो फूल भी इस बागे आलम से न हम । आफते जा मेरे हक में दिल लगाना हो गया । वक्त रेहलत हैफई है खाली हिदामा रह गया । हो गया लागर२५ जो उस लैली अदा के इश्क में । मर गये हम पर न आये तुम खबर को ऐ सनम । मिसले मजनूं हाल मेरा मी फिसाना२६ हो गया । हौसला सब दिल का दिल ही में मेरी जा रह गया । खाकसारी२७ ने दिखाया बाद मुर्दन२८ भी उरुत२९ । नातवानी ने दिखाया जोर अपना ऐ 'रसा' । आसमाँ तुरबत३० पर मेरे शामियाना हो गया । सूरते नक्शे कदम मैं बस नुमायाँ रह गया । ख्याबे गफलत से जरा देखो तो कब चौंके हैं हम । फिर मुझे लिखना जो वस्फे रुए जाना हो गया । काफिला मुल्के अदम२१ को जब रवाना हो गया । वाजिब इस जा पर कलम को सर झुकाना हो गया । फसले गुल में भी रिहाई की न कुछ सूरत हुई । सरकशी इतनी नहीं जालिम है ओ जुल्फे सियाह । कैद में सैयाद मुझको एक जमाना हो गया । बस के तारीक अपनी आँखों में जमाना हो गया । दिल जलाया सूरते परवाना जब से इश्क में । ध्यान आया जिस घड़ी उसके दहाने१० तंग का । फर्ज तब से शमअ पर आंसू बहाना हो गया । हो गया दम बंद मुश्किल लब हिलाना हो गया । आज तक ऐ दिल जवाबे खत न भेजा यार ने । ऐ अजल११ जल्दी रिहाई दे, न बस ताखीर कर । नामाबर को भी गये कितना जमाना हो गया । खानए तन१२ भी मुझे अब कैदखाना हो गया । पासे रुसवाई३२ से देखो पास आ सकते नहीं । आज तक आईना-वश हैरान है इस फिक्र में । रात आई नींद का तुमको बहाना हो गया । कब यहाँ आया सिकंदर कब रवाना हो गया । हो परेशानी सरेमू३३ भी न जुल्फे यार को । दौलते दुनिया न काम आएगी कुछ भी बाद मर्ग१३ । इसलिये मेरा दिले सद-चाक३४ शाना३५ हो गया। है जमीं में खाक कारु१४ का खजाना हो गया । बद मुर्दन कौन आता है खबर को ए 'रसा' । बात करने में जो लब उसके हुए जेरो जबर१५ । खत बस कंजे लहद३६ तक दोस्ताना हो गया १७ एक सायत में तहो बाला१६ जमाना हो गया । जहाँ देखो वहां मौजूद मेरा कृष्ण प्यारा है। देख ली रफ्तार उस गुल की चमन में क्या सबा । उसी का सब है जलवा३७ जो जहाँ में आशकारा है। सर्व१७ को मुश्किल कदम आगे बढ़ाना हो गया । मला मखलूक३९ खालिक की सिफत समझे कहाँ कुदरत । १. इच्छा. २. ईश्वर के लिए, ३. पागलपन, ४. कंठी, ५. महायात्रा, ६. शोक, ७. प्रिय, ८. गुण, ९. अंधकार, १०. मुख, ११. मृत्यु, १२. शरीर रूपी गृह, १३. मृत्यु, १४. एक धनाढ्य, १५. नीचे ऊपर, टेढ़े, १६. अस्तव्यस्त, १७. एक पौधा, सरो, १८. बुलबुल, १९. दुखी, २०. सुखी, २१. घोंसला, २२. प्राण, २३. घोड़ा,२४. चलता हुआ, २५. कृश, २६. कहानी, २७. नम्रता, २८. मरने के, २९. उस्कर्ष, ३०. कन, ३१. परलोक, ३२. कलंक के विचार, ३३. बाल बराबर भी, ३४. सौ टुकड़े, ३५. कंघी, ३६. कना,, ३७. शोभा, ३८. प्रकट, ३९. सृष्टि के जीव. भारतेन्दु समग्र २७०