पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/३७०

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मुद्राराक्षस विशाखदत्त कृत संस्कृत नाटक का अनुवाद है। जर्मन विद्वान प्रोफेसर हिलंब्रैन्ड के अनुसार मुद्राराक्षस की प्राचीन कई प्रतियां पाई जाती है, जिनमें रचनाकार के स्थान पर किसी पर विशाखदत्त का और किसी पर भास्करदत्त का उल्लेख है। चातव्य है कि विशाखदत्त के पिता का नाम भास्करदत्त था। इस नाटक का अनुबाद भारतेन्दु जी ने राजा शिवप्रसाद सितारेहिन्द के आग्रह से किया था। और इसे पाठ्यक्रम में चलवाने का प्रयत्न भी किया था। यह पहले बालबोधिनी में प्रकाशित हुआ। इसकी प्रस्तावना वर्ष २ नं. २ फाल्गुन सं. १९३१ (फरवरी १८७५) में प्रकाशित हुई थी। कहते हैं कि इसी का अनुवाद महामना पं. मदनमोहन मालवीय के पितृव्य पं. गंगाधर मह मालवीय जी ने भी किया था पर जब उन्हे यह मालूम हुआ कि भारतेन्दु ने भी किया है, तो उन्होने इसे प्रकाशित नही किया। सं. मुद्राराक्षस नाटक परमभद्रास्पद श्रीयुक्त राजा शिवप्रसाद बहादुर सी.एस.आई. के चरण कमलों में केवल उन्हीं के उत्साहदान से उनके वात्सल्यभाजन छात्र द्वारा बना हुआ यह ग्रंथ सादर समर्पित हुआ पूर्व कथा पाटलिपुत्र अथवा पुष्पपुर थी । इन लोगों ने अपना पूर्व काल में भारतवर्ष में मगधराज एक बड़ा भारी प्रताप और शौर्य इतन। बढ़ाया था कि आज तक इसका जनस्थान था । जरासंध आदि अनेक प्रसिद्ध पुरुवंशी नाम भूमंडल पर प्रसिद्ध है । किन्तु कालचक्र बड़ा प्रबत्न राजा यहाँ बड़े प्रसिद हुए हैं । इस देश की राजधानी है कि किसी को भी एक अवस्था में रहने नहीं देता। भारतेन्दु समग्र ३२६