पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/४२१

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हुआ और अन्त में जरासंध और चंद्रगुप्त की राजधानी | मेगस्थनीज अनेक बार संद्रकुत्तम की सभा में गया था । पवित्र पाटलिपुत्र ने आर्य वेश और आर्य नाम परित्याग (६) प्लूटार्क (Plutarch) ने चंद्रगुप्त को दो लक्ष सेना करके औरंगजेब के पोते अजीमशाह के नाम पर अपना का नायक लिखा है । इस सब लेखों को पौराणिक नाम अजीमाबाद प्रसिद्ध किया (१६९७ ई.) बंगाले के वर्णनों से मिलाने से यद्यपि सिद्ध होता है कि सूबेदारों में सबसे पहले सिराजुद्दौला ने अपने को सिकंदरकृत पुरु पराजय के पीछे मगधराज मंत्री द्वारा स्वतंत्र समझा था किंतु १७५० की पलासी की लड़ाई निहत हुए और उनके लड़के भी उसी गति को पहुंचे में मीर जाफर अंगरेजों के बल से बिहार बंगाला और और उसके पीछे चंद्रगुप्त राजा हुआ, किंतु बहुत से उड़ीसा का अधिनायक हुआ । किंतु अंत में जगविजयी यूरानी लेखकों ने चंद्रगुप्त की पट्टरानी के गर्भ में अंगरेजों ने सन १७६३ में पूर्व में पटना पर अधिकार क्षौरकार से उत्पन्न लिखकर व्यर्थ अपने को भ्रम में करके दूसरे बरस की बकसर प्रसिद्ध लड़ाई जीतकर डाला है । चंद्रगुप्त क्षत्रिय वीर्य से दासी में उत्पन्न या स्वतंत्र रूप से सिंहचिन्ह की ध्वजा की छाया के नीचे यह सर्वसाधारण का सिद्धान्त है। (७) इस क्रम से इस देश के प्रात मात्र को हिंदोस्तान के मानचित्र में ३२७ ई. पू. में नंद का मरण और ३१४ ई. पू. में लाल रंग के स्थापित कर दिया । चंद्रगुप्त का अभिषेक निश्चय होता है । पारस देश की जस्टिन (Justin) कहता है? - संद्रकुत्तम | कुमारी के गर्भ से सिल्यूकस को जो एक अति सुन्दर महापराक्रमी था । असंख्य सैन्य संग्रह करके विरुद्ध कन्या हुई थी वही चंद्रगुप्त को दी गई । ३०२ ई.पू. लोगों का इतने सामना किया था । डियोडोरस | में यह संधि और विवाह हुआ. इसी कारण अनेक सिक्यूलस (Deodorus Siculus) कहता है - यवनसेना चंद्रगुप्त के पास रहती थी । २९२ ई. पू. में प्राच्य देश के राजा चंद्रमा के पास २००00 अश्व चंद्रगुप्त २४ बरस राज्य करके मरा । २०००० पदाति. २००० रथ और ४००० हाथी थे। चंद्रगुप्त के इस मगधराज्य को आइनेअकबरी में यद्यपि यह Xandramas शब्द चंद्रमा का अपभ्रंश मकता लिखा है । डिग्विग्नेप (Deguignes) कहता है, किंतु कई भ्रांत यूनानियों ने नंद को भी इसी नाम से है कि चीनी मगध देश के मकियात कहते हैं । केफर लिखा है। क्वितस करशिअस (Quintus | (Kemfer) लिखता है कि जापानी लोग उसको मगत Curtius) लिखता है -(३) चंद्रमा के क्षौरकार | कफ कहते हैं । (कफ शब्द जापानी में देशवाची है)। पिता ने पहले मगधराज को फिर उसके पुत्रों को नाश प्राचीन फारसी लेखकों ने इस देश का नाम मावाद वा करके रानी के गर्भ में अपने उत्पन्न किए हुए पुत्र को | मुवाद लिखा है । मगधराज्य में अनुगांग प्रदेश मिलने गद्दी पर बैठाया । स्ट्राबो (Strabo) कहता है -(8) ही से तिब्बतवाले इस देश को अनुखेक बा अनोनखेक सेल्यूकस ने मेगास्थनीज को संद्रकुत्तम के निकट भेजा कहते हैं और तातारवाले इस देश को एनाकाक लिखते और अपना भारवर्षीय समस्त राज्य देकर उससे संधि है। कर ली। ओरियन Orriun लिखता है - (५) सिसली डिउडोरस ने लिखा है कि मगधराजधानी ऊपर देव के पूर्यमंदिर के ढंग का एक महादेव का मंदिर है । पहाड़ के नीचे एक टूटा गढ़ भी देख पड़ता है । जान पड़ता है कि पहले राजा देव के घराने के लोग यहाँ ही रहते थे. पीछे देव मों बसे । देव और उमगा दोनों इन्हीं की राजधानी थी, इससे दोनो नाम साथ ही बोले जाते (देवमूगा) तिल संक्रांति को उमगा में बड़ा मेला लगता है । इससे स्पष्ट हुआ है कि उदयपुर के जो राजा लोग आए उन्हीं के खानदान में देव के राजपूत और बिहारदर्पण से भी यह बात पाई जाती है कि मड़ियार लोग मेवाड़ से आए हैं ! ?. Justin His. Phellipp Lib XV Chap. IV. 2. Deodorus Siculus XVII. 93. 3. Quitus Curtius IX. 2. 8. Strabo XV. 2.9. 4. Orriun Indica X. 5. E. Plutarch Vita Alexanbri O. 62 ७. टाड आद कई लोगों का अनुमान है कि मोरी वंश के चौहान जो बापाराव के पूर्व चित्तौर के राजा धे भी मौर्य थे। क्या चंद्रगुप्त चौहान था ? या ये मोरा सब शूद्र थे ? A मुद्रा गक्षम ३७७ 1