पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/४२३

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कुशीनार गय । बौद्धों के लिखने बमुजिब उसी जगह | मैदान में विष्णु पुजाते है. पुजारी बदन रंग कर और सन ईसवी ४४३ बरस पहले ८० बरस की उमर में सिर में फूलों की माला लपेटकर घंटा और झांझ साल के वृक्ष के नीचे बाई करवट लेटे हुए इसका बजाते हैं । एक वर्ण का बादमी दूसरे वर्ण की स्त्री व्याह निर्वाण हुआ। काश्यप उसका जानशीन हुआ। नहीं सकता है और पेशा भी दूसरे का इख्तियार नही | अजातशत्रु के पीछे तीन राजा अपने बाप को मारकर कर सकता है । हिंदू घुटने तक जामा पहनते हैं और मगध की गद्दी पर बैठे. यहां तक कि प्रजा ने घबराकर सिर और कपों पर कपड़ा रखते है । चूते उनके रंग विशाली की वेश्या के बेटे शिशुनाग मंत्री को गयी पर | वरंग के चमकदार और कारचोबी के होते हैं । बदन भैठा दिया । यह बड़ा बुद्धिमान था । इसके बेटे काल पर अकसर गहने, भी मिददी से रंगते है और दाढ़ी मूल अशोक ने, जिसका नाम ब्राह्मणों ने काकवर्ण भी लिखा पर खिजाप करते है । छतरी, सिवाय बड़े आदमियों के है, पटना अपनी राजधानी बनाया। और कोई नहीं लगा सकता । रथों में लड़ाई के समय जब सिकंदर का सेनापति बावित का पादशाह घोड़े और मंजिल काटने के लिए बैल जोते जाते है। सिरुयूकस सूबेदारों के तदारुक को आया, पटने से हाथियों पर भारी जर्दोजी मूल डालते हैं । सड़कों को सिंधु किनारे तक नंद के बेटे चंद्रगुप्त के अमल दखल मरम्मत होती है. पुलिस का अच्छा इतिजाम है। |में पाया, बड़ा बहादुर शेर ने इसका पसीना चाटा था | चंद्रगुप्त के लशकर में औसत चोरी तीस रूपये रोज से और जंगली हाथी ने इसके सामने सिर झुका दिया | जियादा नहीं सुनी जाती है । राजा जमीन की पैदावार से था। चौथाई लेता है। पुराणों में विविसार को शिशुनागर के बेटे काकवर्ण चंद्रगुप्त सन ई. के ९१ बरस पहले मरा । उसके का परपोता बतलाया है और नदिनवन को विविसार बेटे विदसार के पास यूनानी एलची दयोमेकस के बेटे अजातशत्रु का परपोता; और कहा है कि (Dianachos) आया था परंतु वायुपुराण में उसका नंदिवर्दन का बेटा महानंद और महानंद का बेया द्री से नाम भद्रसार और भागवत में बारिसार और महापद्मनंद और इसी महापदमनद और उसके आठ | मत्स्यपुराण में शायद बृहद्रथ लिखा है। केवल लडको के बाद जिन्हें नवनद कहते है, चंद्रगुप्त मौर्य | विष्णुपुराण बौद्ध ग्रंथों के साथ विदुशार बतलाता है। | गद्दी पर बैठा । बौद्ध कहते हैं कि तक्षशिला के उसके १६ रानी थी और उनसे १०१ लड़के, उनमें रहनेवाले नाणक्य ब्राह्मण ने धननंद को मार के | अशोकर जो पीछे से 'धर्मअशोक' कहलाया, बहुत चन्द्रगुप्त को राजसिंहासन पर बैठाया और वह मोरिया तेज था, उज्जैन का नाजिम था । वहाँ के एक सेठ(") नगर के राजा का लड़का था और उसी जाति का था की लड़की देवी उससे व्याही थी, उसी से महेंद्र लड़का जिसमें शाक्यमुनि गौतम बुद्ध पैदा हुआ । और संपमिता (जिसे सुमित्रा भी कहते है) लड़की हुई मेगस्थनीज लिखता कि पहाड़ों में शिव और | थी। OM DESKOLE प का निर्वाण मानते है।

  • कैसे आश्चर्य की बात है, चेटक रडी के मड़वे को भी कहते हैं। (हरिश्चद्र)

१. चंदन इत्याधि लगाकर । २. अर्थात पगड़ी दुपट्टा । ३. जैनियों के ग्रंथों में इसी का नाम अशोक भी लिखा है। ४. सेठ श्रेष्ठों का अपभ्रश है, अर्थात जो सबसे बड़ा हो । X मुद्रा राक्षस ३७९ 27