पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/५१२

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प. देशी-पर रंग गोरा कहाँ से लावेंगे ? विरुद्ध कौन बात थी? फिर क्यों उसे पकड़ने को हम बंगाली हमारा देश में भारत उद्वार नामक भेजे गए? हम लाचार हैं। एक नाटक बना है । उसमें अंगरेजों को निकाल देने दू. देशी-(टेवुल के नीचे से रोकर) हम नहीं का जो उपाय लिखा, सोई हम लोग दुदैव का वास्ते हम नहीं, तमाशा देखने आये थे? काहे न अवलंबन करें। ओ लिखता पाँच जन बंगाली महा.- हाय हाय ! यहाँ के लोग बड़ो भीरू और मिल के अंगरेजों को निकाल देगा। उसमें एक तो कापुरुष हैं । इसमें भय की कोन बात है ! कानूनी है । पिशान लेकर स्वेज का नहर पाट देगा । दूसरा बांस सभा. तो पकड़ने का आपको किस कानून से काट काट के पिवरी नामक जलयंत्र विशेष बनावेगा । अधिकार है? तीसरा उस जलयंत्र से अंगरेजों की आंख से धूर और डिस.--इँगलिश पालिसी नामक ऐक्ट के पानी डालेगा। हाकिमेच्छा नामक दफा से । महा.-- नहीं नहीं, इस व्यर्थ की बात से क्या महा--परंतु तुम ? होना है। ऐसा उपाय करना जिससे फल सिद्धि हो । दू. देशी-(रोकर) हाय हाय ! भटवा तुम प.देशी- (आप ही आप) हाय ! यह कोई नहीं कहता है अब मरे । कहता कि सब लोग मिलकर एक चित्त हो विद्या की महा.-पकड़ नहीं सकतों, हमको भी दो हाथ उन्नति करो, कला सीखो जिससे वास्तविक कुछ दो पैर हैं । चलो हम लोग तुम्हारे संग चलते हैं, उन्नति हो । क्रमश सल कुछ हो जायगा। सवाल जवाब करेंगे। एडि.- आप लोग नाहक इतना सोच करते हैं, बंगाली-हाँ चलो, ओ का बात पकड़ने हम ऐसे ऐसे आर्टिकिल लिखेंगे कि उसके देखते ही नहीं शेकता । दुदैव भागेगा। समा.- (स्वगत) चेयरमैन होने से पहिले हमी कवि-और हम ऐसी ही ऐसी कविता करेंगे। को उत्तर देना पड़ेगा, इसी से किसी बात में हम अगुआ प.देशी-पर उनके पढ़ने का और समझने का नहीं होते। अभी संस्कार किसको है? - अच्छा वलो । (सब चलने की चेष्टा ( निपथ्य में से) करते है)। भागना मत, अभी मैं आती हैं। (सब डरके चौकन्ने से होकर इधर उधर देखते है) (जवनिका गिरती है) दू. देशी- (बहुत डरकर) बाबा रे, जब हम कमेटी में चले थे तब पहिले ही छीक हुई थी । अब क्या करें । (टेबुल के नीचे छिपने का उद्योग करता है) (डिसलायलटी' का प्रवेश) स्थान-गंभीर वन का मध्यभाग सभापति--आगे से ले आकर बड़े शिष्टाचार (भारतएक वृक्ष के नीचे अचेत पड़ा है) से) आप क्यों यहाँ तशरीफ लाई है? कुछ हम लोग (भारतभाग्य का प्रवेश) सरकार के विरुद्ध किसी प्रकार की सम्मति करने को भारतमाग्य- (गाता हुआ-राग चैती गौरी) नहीं एकत्र हुए हैं। हम लोग अपने देश की भलाई जागो जागो रे भाई। करने को एकत्र हुए है। सोअत निसि बेस गंवाई जागो जागो रे भाई ।। डिसलायलटी-नहीं, नहीं, तुम सब निसि की कौन कहे दिन बीत्यो काल राति चलि आई। सरकार के विरुद्ध एकत्र हुए हो, हम तुमको पकड़ेंगे । देखि परत नहि हित अनहित कछु परे बैरि बस जाई।। बंगाली-(आगे बढ़कर क्रोध से) काहे को निज उदार पंथ नहि सूझत सीस धुनत पछिताई । पकड़ेगा, कानून कोई वस्तु नहीं है । सरकार के विरुद्ध अबहूँ चेति, पकरि राखो किन जो कछु बची बड़ाई ।। कौन बात हम लोग बोला ? व्यर्थ का विभीषिका ! फिर पछिताए कछु नहिं ट्वैहै रहि जैहौ मुंह बाई ।। डिस.- हम क्या करें, गवर्नमेंट की पालिसी | जागो जागो रे भाई ।। यही है । कधि वचन सुधा नामक पत्र में गवर्नमेंट के (भारत को जगाता है और भारत जब नहीं जागता १. पुलिस की वर्दी पहिने । डिस. छया अंक भारतेन्दु समग्न ४६८