पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/५२२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

नीलदेवी (गीत रूपक) सन् १८८१ ई. में लिखा गया ऐतिहासिक मौलिक गीत रूपक। कहते हैं भारतेन्दु ने जिस अंग्रेजी काव्य की कुछ पंक्तियां इस रूपक के आरम्भ में उद्धृत की हैं। उसी के कथानक के आधार पर इसका निर्माण हुआ है। ये पंक्तियां किस काव्य की है इसका कहीं उल्लेख नहीं है। पर लगता है, बंगला के नीलदर्पण के राष्ट्रीयता की इस पर छाप अवश्य है। नौकर । नीलदेवी murdered Chief; All the camp is silent but the night is ऐतिहासिक गीत रुपक brief. At his feet she flings it, fling her burden 'गर्ज गर्व क्षणं मूढ़ मधु यात्पिवाम्यहं । vile; मयात्वयिहते त्रैव गर्जिष्यन्याशु देवता: ।' Suraj! 1 keep my promise ! Brothers ! 'तैलोक्यमिन्द्रो लभतां देवा : सन्तु हविर्भुजः । build the pile यूर्य प्रयात पाताल यदि जीवितुमिच्छथ ।। 'इत्थं यदा यदा बाधा दानवोत्था भविष्यति । नाटकस्थ पात्र गण तदातदा वतीयाह करिषाम्यरिसंक्षयम् ।। 'स्त्रिय: समस्ता: सकला : जगत्सु त्वयैका सूर्य देव . पंजाब प्रान्त का राजा । पूरितमम्बमेतत. सोमदेव सूर्य देव का पुत्र । (दुर्गापाठ) अब्दुश्शरीफ खाँ सूर . . . दिल्ली के बादशाह का सिपहसालार । For the kiss she gave him was his first बसन्त .. पागल बना हुआ महाराज सूर्यदेव का and last, Kiss of dagger, driven to his heart and पं. विष्णुशर्मा .. मौलवी के भेष में राजा का past. At the feet he wallowed. choked with नीलदेवी wicked blood. महाराज सूर्यदेव की रानी । In his breast the katar quiverecl where it | चपरगट्ट और पीकदान अली दो मुफ्तखोरे stood देवसिंह इत्यादि सिपाही, राजपूत सर्दार । At the helt his fingers vainly widly try : मुसलमान मुसाहिब, काजी, भटियारी, देवता, अप्सरा Then they stiffen feable are! thou GATI slayer die From his jewelled scabbard, drew the मातृ भगिनी सखी तुल्या आर्य ललना गण! shureef's sword. Cut at vein the neck-bone of the Muslim आज बड़ा दिन है। क्रिस्तान लोगों को इससे Lord, बढ़कर कोई आनन्द का दिन नहीं है। किन्तु मुझको Underneath, the star light sooth a slight आज उलटा और दु:ख है । इसका कारण मनुष्य of dread! Like the Goddess Kali, comes she with स्वभाव सुलभ ईर्षा मात्र है । मैं कोई सिद्ध नहीं कि the head. रागद्वेष से विहीन हूँ । जब मुझे अंगरेजी रमणी लोग Comes to where her brothers guard their मेदसिंचित केश राशि. कृतृम कुन्तलजूट, मिथ्या er***

भारतेन्दु समग्र ४७८ पंडित । 1