पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/५५१

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शैलाक्ष नहीं है? सलोने कहो बाजार का कोई नया समाचार | कर्ता हो । शैलाक्ष- ऐ ! मेरा ही मांस और रुधिर मुझी से सलारन- इस बात का अब तक वहाँ बड़ा विरुद्ध हो! कोलाहल है कि अनंत का एक अनमोल माल से लदा सलोने-तुम भी पुराने घाघ होकर क्या ही हुआ जहाज उस छोटे समुद्र में नष्ट हो गया ; कदाचित वाही तबाही बकते हो ! भला ऐसी युवा कुमारी के ऐसे उस स्थान को लोग दुरूह कहते हैं जो एक बड़ी कृत्य को विरुद्ध कह सकते हैं? भयानक बालू की ठेक है जहाँ कितने ही बड़े-बड़े क्या मेरी लड़की मेरा मांस और लहू अनमोल जहाज नष्ट हो गए हैं यदि यह समाचार निरी गप हाँकने वाली कुटनी न हो । सलोने ईश्वर करे वह वैसी ही झूठी कुटनी सलारन-तुम्हारे और उसके मांस में तो निकले जो आँसू बहाने के लिये अपनी आँखों में लाल उससे भी अधिक अंतर है जैसा कि नीलमणि और मिर्च मल लेती है, जिसमें लोगों पर अपने तीसरे पति स्फटिक में होता है, तुम्हारे और उसके रुधिर में के मरने का दु:ख प्रकट करे । पर यह सच है और मैं उससे भी अधिक अंतर है जैसा कि सिंगर्फ और गेरू में बिना इसके कि बात को बढ़ाऊँ या बातचीत की सीधी होता है । पर यह तो कहो कि तुमने भी अनंत के जहाज के नष्ट होने का कुछ हाल सुना है ? राह से मुई कहता हूँ कि सुहृद अनंत धर्मिष्ठ शैलाक्ष - वह मेरे लिये एक दूसरे घाटे की बात अनंत – हाय मुझे तो कोई ऐसा शब्द ही नहीं मिलता जिससे उसकी प्रशंसा सूचित हो सके । है ; एक पूरा व्यर्थ व्यय करने वाला ओर दीवालिया जो सलारन-अच्छा तो अब तुम्हारा वाक्य अब बाजार में किसी को मुंह नहीं दिखला सकता, एक समाप्त हुआ । भिखमंगा जो किस बनावट के साथ बन ठन कर बाजार सलोने-वाह! क्या कहते हो ? अच्छा तो में आया करता था ; नेक वह अपनी दस्तावेज तो देखे ; उसका परिणाम यह है कि उनका एक जहाज नष्ट हो वह मुझे बड़ा व्याज खाने वाला कहता था ; नेक वह अपनी दस्तावेज तो देखे ; वह लोगों को बहुत अपनी गया। सलारन-मैं तो आशीर्वाद देता हूँ कि उनकी आर्य दयालुता दिखलाने के लिये व्यर्थ रुपया ऋण हानि यहीं पर समाप्त हो जाय । दिया करता था ; नेक वह अपनी दस्तावेज तो देखे । सलोने--मैं भी झटपट एवमस्तु कह दूँ, कहीं सलारन- क्यों, मुझे विश्वास है कि यदि वह ऐसा न हो कि भूत मेरी प्रार्थना में विघ्न करे क्योंकि अपनी प्रतिज्ञा पूरी न कर सके तो तुम उनका मांस न यह देखो वह जैन की सूरत में चला जाता है । माँगोगे ; भला वह तुम्हारे किस काम में आ सकता (शैलाक्ष आता है) सलोने-कहो जी शैलाक्ष आज कल सौदागरों -मछली फंसाने के लिये चारे के काम में क्या समाचार है? में यदि वह और किसी वस्तु का चारा नहीं हो सकता तो शैलाक्ष - मेरी बेटी के भागने का हाल तुमको | मेरे बदले का चारा तो होगा उसने मुझे अप्रतिष्ठित भली भाँति विदित है तुमसे बढ़कर इस बात को कोई | किया है और कम से कम मेरा पाँच लाख का लाभ रोक नहीं जानता, कोई नहीं जानता । दिया है ; वह सदा मेरी हानि पर हँसा है, मेरे लाभ की सलारन- इसमें भी कोई संदेह है, परंतु यदि | निंदा की है, मेरी जाति की अप्रतिष्ठा की है, मेरे मुझसे पूछो तो मैं केवल इतना ही जानता हूँ कि अमुक व्यवहारों में टाँच मारी है, मेरे मित्रों को ठंढा और मेरे दर्जी ने उसके लिये पर बनाये थे जिनके सहारे से | शत्रुओं को गर्म किया है ; और यह सब किस लिये ? उड़ी। केवल इस लिये कि मैं जैनी हूँ। क्या जैनी की आँख, सलोने-और शैलाक्ष भी इस बात को जानता नाक, हाथ, पाँव और दूसरे अंग आर्यों की तरह नहीं था कि उस चिड़िए के पर जम चुके हैं जिसके होने से | होते ? क्या उसकी सुंधि, सुख और दु:ख, प्रीति और सब पक्षियों का नियम है कि अपने मां बाप के खाते से | क्रोध आर्यों की भाँति नहीं होता ? क्या वह वही अन्न निकल भागते हैं। नहीं खाता उन्हीं शस्त्रों से घायल नहीं होता, वही रोग शैलाक्ष- -वह इस अपराध के लिये अवश्य नहीं झेलता, उन्हीं औषधियों से अच्छा नहीं होता, नरक में पड़ेगी। उसी गर्मी और जाड़े से सुख और कष्ट नहीं उठाता | सलारन-अवश्य यदिचेत भूत उसका न्याय जैसा कि कोई आर्य ? क्या यदि तुम चुटकी काटो तो KO***

दुर्लभ बन्धु ५०७ 35 शैलाक्ष-