पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/५८८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

बसंत पूजा संवादत्मक प्रहसन" हरिश्चंद्र मैगजीन" जि. सं.७अप्रैल मई १८७४ में छपा। प्रहसन पंचक" में संग्रहीत दुसरा प्रहसन। सं. बंसत पूजा (यजमान और सर्वभट्ट और मुद्रं भट्ट आते हैं) यज.- महाराज इसका नाम बसंत पूजा क्यों स.भ.-महाराज इसमें बंसतों की बंसत ही में पूजा करते हैं विशेषत : हम लोग पूरे बसंतनंदन हैं क्योंकि तौकी बाई को बाईस रुपये मिलें, मियां खिलौना को पंदरह, लाट साहब को नजर भी पंद्रही की असरफी, बड़े डाक्टर और वकीलों की फीस भी इतना ही, बीनकारों को दस. कवियों को पांच, चपरासियों को दो, कथा पर एक, पंडितों का ईमान बिगड़वाई आठ आना पर हम को दुअन्नी, कठसरैया की माला और बेलकठा. सेती के चंदन घस मोरे लनुआ । मु. भ.-सत्यं सत्यं, हम चिल्लाने में किसी मु.भ.-सत्यं सत्यं, हम चिल्लानो में किसी से कम नहीं, शास्त्र भी हमारा सर्वोपरि वेद, उस पर यह दशा । य.- अच्छा आज कोई इस समय के अनुसार सहिता पढिये तो हम विशेष दक्षिणा दें। स.भ. तर आरंभ करा मुद्र भट्ट । मु.भ.- हआ भी ह्मणतो सहस्र शीर्षा पुरुष : सहस्राक्ष: । स. भ.-- अं आं सहताक्ष : नेत्र कुत्रास्ति । मु. भ.-स्वकार्यदर्शने-मा भवतु प्रजा- दर्शनेन्सहस्रपात (रलादिना) सभूमि सर्वतो वृत्तवा- अत्यतिष्ठदशांगुलं । स. भ.- हां हां अत्यतिष्ठत्साई त्रिहस्तं वासप्तवितस्तक। मु. भ.-पुरीष : एवेदं सव्वं यद्भूतंयच्च चनमस्ताम्रायचनम : हणायचनम् : कपर्दिने नमोनम : । मु.भ.-- नमश्श्वभ्यश्श्पतिम्यच्चयोनमौनम: । य.- हमें यह नमोनमो नहीं सुहाती । स. भ.-- तर देवता म्हणा-गौरी देवता हनुमान् देवता जाम्बुवान देवता चंद्रमा देवता । मु.भ.- पूषा देवता मूका देवता इंसा देवता झूठा देवाता मीठा देवता गोदेवता के भक्ष को देवता । स.भ.-प्रकाल देवता स्वार्थो देवता धोखा देवता जोषा देवता कोरा देवता शिष्टाचारा देवता । मु. भ.--- लाटो देवता जज्जो देवता मजिस्टरो देवता पुलिस देवता डाक्टरो देवता । स. भ. बंगला देवता सड़को देवता रेलो देवता तारो देवता धूआंकसो देवता । मु. भ.-कोतवालो देवता थानेदोरो देवता नाजिरो देवता कास्टिबलो देवता देव ताकत का होमः। स. भ.-ईशावासमिदं सर्वं यत्किचित जगत्या जगत् । माधुवाता मृतायते मधुक्षरन्ति सिन्धव : माध्वीनस्सन्त्वोषधी : । मधुम्हणजे मद्य । स. भ.-- सलामश्चते बंदगीचते घूसश्चते चंदाचते अड्रेसश्चते बालश्चते बलश्चते राज्यंचते पाटचते कलाकौशल्यंचते स्वच्छ विहारश्चते लक्ष्मीचते मु. भ. विद्यानते । मु. भ.- रिसेप्शनश्चते-इल्युमिनेशनश्चते टैक्शचते-चुंगीचते जमाचते जुर्मानाचते । स. भ.- बैतुमालश्चते रसूमश्चते स्टाम्पश्चते नजरश्चते डालीश्चते इनामश्चते । मु. भ. रेलतार का किराया च ते अंगरेजी सोदे का दामश्चते रुईचते अनंचते । स. भ.-एकाचते बलंचते तनमनधन सर्वस्वंचते भवतु । मु. भ.-मूर्खताचमे कायरत्वंचमे धक्काचमे सवस्वंचतं भवतु । मु. भ.-- मूर्खताचमे कायरत्वंचमो धक्काच: गरदनियाचमे हंसीचमे । भाव्य । स.भ.-उतमद्यत्वस्ये शानो यदन्नेनातिरोहति । य. -सहन शीर्षा का अध्याय तो हमें भी यह याद है यह मत पढ़िये दूसरा चरखा निकालिये। मु.भ.- तरते नम : म्हणा । स. भ. हा-राज्ञेनम : वणिजेनम गौराय- भारतेन्दु समग्र ५४४